ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों की तुलना में राहु केतू को भले ही छाया ग्रह माना जाता हो लेकिन किसी भी कुंडली में या जातक के जीवन पर इनका भी बहुत असर पड़ता है। खगौलीय दृष्टि से भले ही ये ना दिखते हों लेकिन इनका वक्री होना और इनकी छाया किसी भी इंसान की कुंडली पर काफी असर डालती है।
12 अप्रैल को राहु मेष राशि में गोचर कर रहा है। वहीं इसके साथ इसी समय केतु तुला राशि में गोचर करेगा। ज्योतिष की नजर से देखा जाए तो दोनों छाया ग्रहों का ये गोचर सभी राशियों पर असर करेगा लेकिन कुछ खास राशियों के लिए ये समय सावधानी बरतने का होगा।
ये दोनों ही ग्रह 12 अप्रैल को गोचर करेंगे और 18 माह तक उसी राशि में रहेंगे। जिन राशियों में राहु और केतु की स्थिति शुभ है, उन्हें इस समय काल में शुभ फल मिलने के योग बन रहे हैं।
हमेशा अशुभ नहीं करते राहू और केतु
राहु को पाप ग्रह कहा जाता है। कहते हैं कि ये जिस जातक की कुंडली में अशुभ जगह पर विराजमान होते हैं वहां जिंदगी में बुरा समय आता है। लेकिन साथ ही ज्योतिष ये भी कहता है कि राहु हमेशा अशुभ फल नहीं देता।
कुंडली में स्थान की बात करें तो राहु क्रमश: तीसरे, छठे व दसवें भाव का कारक है अत: यहाँ यह शुभ फल ही देता है।
राहु अगर अपनी उच्च राशि मिथुन में विराजमान हो जाएं तो अच्छे फल देते हैं। जातक को धन लाभ होता है, घर परिवार में खुशहाली, नौकरी व्यवसाय में लाभ मिलता है।
अगर किसी जातक की कुंडली के दसवें भाग में राहु बैठा है तो वो उच्च योग बनाएगा और व्यक्ति की जिंदगी में राजयोग बनता है। ऐसे लोग उच्चाधिकारी, राजनेता, बड़े अफसर बनते हैं।
जहां तक केतु की बात की जाए तो अपनी उच्च राशि धनु है और जब जब केतु धनु में गोचर करता है तो धनु की पौ बारह हो जाती है यानी धनु राशि के जातकों को लाभ ही लाभ होता है।
ज्योतिष कहता है कि जिनकी कुंडली के पहले यानी लग्न भाव में राहु विराजमान होते हैं ऐसे लोगों को जिंदगी में पैसे की कमी नहीं होती। उन्हें किसी न किसी प्रकार से धन की प्राप्ति होती रहती है। ऐसे लोग अपना ही नहीं दूसरे के धन का भी निवेश करके फायदा उठाते हैं।
12 अप्रैल को राहु मेष राशि में गोचर कर रहा है। वहीं इसके साथ इसी समय केतु तुला राशि में गोचर करेगा। ज्योतिष की नजर से देखा जाए तो दोनों छाया ग्रहों का ये गोचर सभी राशियों पर असर करेगा लेकिन कुछ खास राशियों के लिए ये समय सावधानी बरतने का होगा।
ये दोनों ही ग्रह 12 अप्रैल को गोचर करेंगे और 18 माह तक उसी राशि में रहेंगे। जिन राशियों में राहु और केतु की स्थिति शुभ है, उन्हें इस समय काल में शुभ फल मिलने के योग बन रहे हैं।
राहु को पाप ग्रह कहा जाता है। कहते हैं कि ये जिस जातक की कुंडली में अशुभ जगह पर विराजमान होते हैं वहां जिंदगी में बुरा समय आता है। लेकिन साथ ही ज्योतिष ये भी कहता है कि राहु हमेशा अशुभ फल नहीं देता।
कुंडली में स्थान की बात करें तो राहु क्रमश: तीसरे, छठे व दसवें भाव का कारक है अत: यहाँ यह शुभ फल ही देता है।
राहु अगर अपनी उच्च राशि मिथुन में विराजमान हो जाएं तो अच्छे फल देते हैं। जातक को धन लाभ होता है, घर परिवार में खुशहाली, नौकरी व्यवसाय में लाभ मिलता है।
अगर किसी जातक की कुंडली के दसवें भाग में राहु बैठा है तो वो उच्च योग बनाएगा और व्यक्ति की जिंदगी में राजयोग बनता है। ऐसे लोग उच्चाधिकारी, राजनेता, बड़े अफसर बनते हैं।
जहां तक केतु की बात की जाए तो अपनी उच्च राशि धनु है और जब जब केतु धनु में गोचर करता है तो धनु की पौ बारह हो जाती है यानी धनु राशि के जातकों को लाभ ही लाभ होता है।
ज्योतिष कहता है कि जिनकी कुंडली के पहले यानी लग्न भाव में राहु विराजमान होते हैं ऐसे लोगों को जिंदगी में पैसे की कमी नहीं होती। उन्हें किसी न किसी प्रकार से धन की प्राप्ति होती रहती है। ऐसे लोग अपना ही नहीं दूसरे के धन का भी निवेश करके फायदा उठाते हैं।