सुनील सोन्हिया की रिपोर्ट
भोपाल।मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विगत् वर्षों की भांति इस वर्ष भी महान संगीतज्ञ व आचार्य पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे की स्मृति में ”संगीत प्रसंग” का आयोजन किया गया। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय स्थित सभागार में सुर-ताल की सभाएं सजीं
नृत्य, वादन और गायन की इस सुरीली यात्रा का आगाज भोपाल के गुणी कलाकार श्री अनिरुद्ध जोशी का सितार वादन से हुआ। इसके बाद लब्धप्रतिष्ठित गायिका विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे, मुम्बई के गायन की हुई।
अंतिम प्रस्तुति दिल्ली से आमंत्रित सुश्री माया कुलश्रेष्ठ एवं साथियों के नृत्य की रही। उन्होंने अपने साथी कलाकारों के साथ कथक का संगीतमय नृत्य बेले प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने कथक को कथा के माध्यम से अभिव्यक्त किया, जिसमें कृष्ण के अनेक रूप और स्त्री के जीवन में कृष्ण के महत्व को बताया। कथा के साथ-साथ टुकड़े, आमद, तिहाई भी प्रस्तुत किए। इसे सुश्री माया कुलश्रेष्ठ ने स्वयं ही लिखा है। उनके साथ दिव्य, अपर्णा, आस्था, रिचा ने साथ दिया।
“कथा कहे, सो कथक कहलाए“, कथक उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है, जिसका अर्थ है कथा को नृत्य के माध्यम से कहना। यह नृत्य नाटिका सुश्री माया कुलश्रेष्ठ द्वारा ही लिखी और कंपोज की गई है। इसमें विरह, श्रंगार और भक्ति रस का समावेश है
माया कुलश्रेष्ठ जी पिछले 25 वर्षों से कथक साधना कर रही हैं और 12 वर्षों से मंचीय प्रस्तुतियां दे रही हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा डॉक्टर अंजलि बावर से ली। इसके बाद खैरागढ़ विश्वविद्यालय और ग्वालियर के राजा मान सिंह तोमर संगीत और कला विश्वविद्यालय से संगीत शिक्षा में उपाधि ली।
3 साल की छोटी सी उम्र से कथक सीख रहीं माया कुलश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। कथक साधना के लिए बिरजू महाराज कथक सम्मान से सम्मानित की जा चुकी हैं। इसके साथ ही आप राष्ट्रीय नृत्य शिरोमण पुरस्कार, नृत्य ज्योति पुरस्कार, कला भारती सम्मान, महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित की जा चुकी हैं। माया जी पिछले 15 वर्षों से अपनी संस्था अंजना वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से दिव्यांग बच्चों को नृत्य एवं संगीत की शिक्षा भी दे रही हैं।