चाचा से हार का हिसाब चुकता कर पाएगी भतीजी? पाटिलपुत्र में मीसा के सामने रामकृपाल की हैट्रिक रोकने की चुनौती
वहीं, सूबे में रामकृपाल यादव एक बड़े नेता हैं. वह मेयर का चुनाव लड़ते हुए संसद तक पहुंचे. एक जमाने में वह लालू यादव के सबसे करीबी नेताओं में शामिल रहे हैं. यह कारण है कि उन्हें हमेशा मीसा भारती चाचा कहकर ही संबोधित करती रही हैं. रामकृपाल आरजेडी के टिकट पर पटना सीट से 1993, 1996 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें पाटलिपुत्र सीट से लड़ाया.
क्या मीसा के लिए MY फैक्टर करेगा काम?
पाटलिपुत्र सीट पर करीब 4 लाख यादव और 1.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं, जोकि आरजेडी का कोर वोट बैंक माना जाता है. हालांकि इस बार तस्वीर अलग नजर आ रही है. आरजेडी के MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के पूरी तरह से एकजुट होने की संभावना कम ही है. इसका एक कारण ये है कि मीसा भारती के चाचा के खाते में भी यादव वोट जा सकते हैं और एआईएमआईएम ने भी यहां अपना उम्मीदवार खड़ा किया है, जिससे मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना बढ़ी है. फारुख रजा वही नेता हैं जो एक बार आरजेडी की यूथ विंग में महासचिव का पद संभाल चुके हैं और 2019 के चुनाव में मीसा भारती के लिए मुस्लिम वोट साधने का काम किया था.