रिपोर्ट धीरज जॉनसन, दमोह
दमोह शहर का जिला चिकित्सालय अपने किसी न किसी कारनामे के कारण हमेशा चर्चा में बना रहता है पर खामियों पर सुधार नहीं करता, जिसे देख- सुन कर प्रतीत होता है कि यहां भी किसी न किसी तरह की अंदरूनी सेंटिंग का मामला हो सकता है, जिसकी सूक्ष्म जांच होना चाहिए।
अनवरत कुछ न कुछ निर्माण कार्य जारी रहने वाले इस अस्पताल में विवाद, अव्यवस्था, असुविधा,लापरवाही के समाचार सामने आते रहे है। बुधवार की सुबह भी यहां खुले परिसर में नगरपालिका की रखी हुई कचरा ट्राली में मेडिकल वेस्ट दिखाई दिया, जबकि वेस्ट ले जाने के लिए निजी एजेंसी से अस्पताल का अनुबंध है उसके बावजूद भी यह लापरवाही सामने आई।
एक तरफ प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तमाम प्रयास जारी है और दूसरी ओर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। वैसे तो मेडिकल वेस्ट को पहले इंसिनेटर इत्यादि में नष्ट होना चाहिए पर उक्त स्थिति को देखकर लगता है कि खानापूर्ति की जा रही है,यहां तक कि मानव रक्त से दूषित कपड़े भी नपा के कंटेनर में दिखाई देते है जबकि इनका निष्पादन या इन्हें अलग अलग रंग के पॉलिथीन में पैक कर निर्धारित रंग के कंटेनर में भरा जाता है पर यहां तो सिर्फ लापरवाही परिलाक्षित हो रही है, या इन्हें किसी का भय नहीं है। इस संबंध में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एपी जैन का कहना था कि इंडो एजेंसी से टाईअप है अगर ऐसा हो रहा है तो यह गलत है।