वर्षो से तलैया में जमा हो रहा है संयंत्र का व्यर्थ पानी
रिपोर्ट धीरज जॉनसन, दमोह
दमोह शहर का जल शोधन संयंत्र पिछले कई वर्षो से पानी को शुद्ध कर स्थानीय पानी की टंकी में भेजता है जहां से वह वितरित का लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है परंतु इस संयंत्र का व्यर्थ पानी निकट की तलैया में पिछले कई वर्षो से जमा हो रहा है पर अब तक इसका बेहतर इस्तेमाल नहीं हुआ, जिससे पानी की बचत हो सके या आस पास के नपा के उद्यान या अन्य तालाब में पानी जा सके।
एक जानकारी के अनुसार उक्त संयंत्र की क्षमता 31.3 मिलियन लीटर प्रति दिवस है जो सिंगल पंप से आधी क्षमता से कार्य करता है और डबल पंप से यह बढ़ जाता है। यहां चार अलग अलग स्तर पर पहले पानी की सफाई होती है। पहले पानी की बदबू को अलग करने के लिए पानी एरियेशन फाउंटेन से होकर गुजरता है जहां पर उसमें फिटकरी मिलाने के लिए पानी को फ्लैश मिक्सर में से गुजरना पड़ता है इसके बाद यह पानी क्लेरिफ्लोक्यूलेटर में भराव होते होते उसके चैनल में क्लॉग फॉरमेशन करता है जो कि फिटकरी द्वारा बनाया गया वेस्ट है जो पानी के नीचे जमा हो जाता है नीचे लगे स्कोर वाल्व की मदद से गंदगी को बाहर निकाल दिया जाता है और साफ पानी फ्लोकुलेटर चैनल के माध्यम से फिल्टर बैड की ओर बढ़ जाता है।
इस जल शोधन संयंत्र में फिल्टर बैड की संख्या करीब 6 बताई जाती है जिसमें 7 या 8 प्रकार की फिल्टर रेत भरी होती है जिनमें पानी में बची हुई गंदगी फिल्टर बैड में साफ हो जाती है इसके बाद यह पानी साफ पानी चैनल के माध्यम से क्लियर वाटर संप में पहुंच जाता हैं और अंतिम प्रक्रिया के रूप में लिक्विड क्लोरिन को डिसइन्फेक्शन के लिए मिलाया जाता है जिसके बाद पानी पंप के माध्यम से शहर की अलग अलग टंकी में जिनकी संख्या 17 बताई जाती है उसमें पहुंचता है।
फिल्टर बैड यह गंदगी साफ करते करते 2 या 3 दिवस में चोक हो जाते है जिनको साफ करने के लिए साढ़े तीन लाख लीटर की टंकी है जिसमें एक बार में 3 फ़िल्टर बेड को बैक वाश किया जाता है और उसमें उपयोग किया गया पानी इस संयंत्र के पीछे बनी तलैया में स्कॉर (निकास) कर दिया जाता है जो कि कुछ दिनों के अंतराल से औसतन एक लाख लीटर गंदा पानी होता है।
जीरो वाटर वेस्टेज में में पुनः जो गंदा पानी फिल्टर बैड से निकल रहा है उसे सेडीमेंटेशन प्लांट के माध्यम से उपयोग में लाया जा सकता है। जल शोधन संयंत्र के पीछे दिखाई देती तलैया में काफी पानी जमा हो चुका है जिसका उचित इस्तेमाल किया जा सकता है। वाटर रिसाइकलिंग से इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है और वेस्टेज भी बंद हो जाएगा।
चूंकि इसके निकट ही दो पार्क है जहां 1.5 या 3 एचपी का पंप रखकर सिंचाई हो सकती है जिससे वर्तमान में टैंकर के द्वारा जो पानी यहां दिया जा रहा है उसकी बचत होगी या पास के तालाब को इससे भरा जा सकता है।
इस संबंध में म.प्र.जल निगम परियोजना क्रियान्वयन इकाई दमोह के जन सहभागिता प्रबंधक डॉ. मनोज राज का कहना था कि जो पानी बेकार जा रहा है उसको रिसाइकिल किया जा सकता है। ग्रामीण अंचलों में जो संयत्र शेष है उनमें फिल्टर बैड के माध्यम से पानी वापस किया जाता है जिससे पानी व्यर्थ नहीं जाता। यह एक अच्छी पहल हो सकती है और पानी का बेहतर इस्तेमाल भी किया जा सकता है इसके निकट के तालाब को भी भरा जा सकता है या पास के गार्डन में सिंचाई हो सकती है।