आलेख
अरुण पटेल
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बिना किसी लहर के नजर आये मतदाताओं के उत्साह और भारी मतदान से राजनीतिक दल और राजनेता दुविधा में फंसे नजर आ रहे हैं और अपनी-अपनी जीत-हार का गणित लगाने में व्यस्त हैं। लाडली बहना बनाम एंटी इनकमबेंसी को लेकर ही कयास लगाये जा रहे हैं। शिवराज सरकार की लाडली बहना योजना को भाजपा अपने पक्ष में मानकर तो कांग्रेस एंटी इनकमबेंसी और महंगाई के कारण महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में मानकर जीत-हार का गगनचुंबी दावा कर रही हैं। भाजपा नेता मध्यप्रदेश में 230 सीटों में से 150 से अधिक जीतने का दावा कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस नेता 125 से लेकर 150 सीट तक जीतने का दावा कर रहे हैं।
वास्तव में भारी मतदान किसके पक्ष में हुआ है इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी अपने-अपने ढंग से इसका अर्थ निकाल रहे हैं लेकिन कोई भी निश्चित तौर पर यह नहीं कह रहा है कि चुनाव कौन जीत रहा है। ज्यादातर लोग छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को आगे बता रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मामले में कांग्रेस 90 सदस्यीय विधानसभा में 70 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही है तो वहीं भाजपा कह रही है कि यहां सरकार उसकी बनेगी। गणित में दो जमा तीन पांच होते हैं लेकिन राजनीति में कभी-कभी यह संख्या छः हो जाती या तीन रह जाती है क्योंकि राजनीति संभावनाओं का खेल है और मतदाताओं के मन की थाह लेना समुद्र की थाह लेने से भी अधिक कठिन है।
जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है कांग्रेस को 55 के आसपास सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा की संख्या 40 के आसपास पहुंच सकती है। वहीं यदि निष्पक्ष आंकलन किया जाए तो मध्यप्रदेश में मतदाताओं का रुझान कांग्रेस के पक्ष में रहता है तो उसे 120 से 125 तक और यदि भाजपा के पक्ष में रहता है तो फिर उसे लगभग 150 के आसपास सीटें मिल सकती हैं। मतदाता के मन में क्या था यह तो तीन दिसम्बर को मतगणना से ही पता चल सकेगा, अभी तो केवल अनुमानों के घोड़े ही दौड़ते नजर आयेंगे और तब तक सभी को अपनी जीत का सपना देखने का पूरा-पूरा अधिकार है।
मध्यप्रदेश के चुनाव नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि लाडली बहना ने कोई गुल खिलाया है या फिर एंटी इनकमबेंसी मतदाताओं के मानस पटल पर पूरी तरह छाई रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बात का पक्का भरोसा है कि लाडली बहनों ने अपने भाई का साथ दिया है और भाजपा की ही सरकार बनने वाली है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हमारे बुजुर्गों, किसानों, बहनों और भाइयों के साथ ही भांजे-भांजियों ने भी जिस उत्साह के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया है वह सराहनीय है, मध्यप्रदेश को सशक्त, समृद्ध व आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सभी का धन्यवाद।
वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का दावा है कि मतदाता मध्यप्रदेश का निर्माण करेगा और आपका एक-एक वोट प्रदेश में फैले कुशासन को समाप्त कर जनहित की सरकार की स्थापना करेगा। उन्होंने भारी मतदान के लिए मतदाताओं को हृदय से धन्यवाद दिया। मध्यप्रदेश की 16वीं विधानसभा के चुनाव में आखिरकार बहुमत के लिए लड़ाई इतनी कड़ी हो गई कि मतदान होते-होते समर्थकों के साथ कई सीटों पर बहस के साथ ही साथ मारपीट तक की नौबत आ गयी और भाजपा के एक प्रत्याशी के खिलाफ उसके समर्थकों सहित आपराधिक मामले में एफआईआर तक हो गई।
कांग्रेसजनों के साथ ही वहां पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को धरना तक देना पड़ा । भाजपा ने तो सत्ता बचाने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी है और भारी बहुमत का भरोसा जता रही है। वहीं कांग्रेस के एक जिम्मेदार नेता का कहना है कि पार्टी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आ रही है। भाजपा के एक बड़े नेता की बात पर यकीन किया जाए तो संगठन के आंतरिक विश्लेषण में पार्टी की 121 सीटों से काफी अधिकसीटें आ रही हैं और उसकी सत्ता में वापसी हो रही है, जबकि सार्वजनिक तौर पर हर नेता 150 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहा है। लाख टके के इस अनुत्तरित सवाल का जवाब मतगणना से ही मिलेगा कि क्या कांग्रेस इस बार बहुमत का आंकड़ा हासिल कर पायेगी या भाजपा सत्ता में बनी रहेगी। लेकिन मतदान के दौरान कई जगह खुलकर आपसी टकराव भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच नजर आया ।
–लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
-सम्पर्क: 9425010804, 7999673990