कथा के विश्राम दिवस पर आस्था और उत्साह के साथ निकाली गई भव्य शोभा यात्रा
सभी भगवान एक है, हमारी बुद्धि के भेद से अंतर दिखाई देता है-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा
अनुराग शर्मा
सीहोर। कई लोगों की पूरी जिंदगी गुजर जाती है तब भी वे भगवान को समझ नहीं पाते। कोई शिव, कोई राम को, कोई कृष्ण भगवान समझाता है, कोई पत्थर मानता है और कोई अपशब्द कहता है। पर सत्य तो यही है कि जिस तरह पेट भरने के लिए भोजन आवश्यक होता है उसी तरह आत्मा की तृप्ति के लिए भगवान नाम स्मरण की आवश्यकता होती है। आप अलग-अलग प्रकार की मिठाईयों का निर्माण करते हुए बर्फी, गुलाब जमुन, बेसन की चक्की, लेकिन इसमें मिठास के लिए शक्कर, मिश्र और गुड डालते हो। मिठाई अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मिठास तो एक है। इसी तरह भगवान के नाम अलग-अलग हो सकते है, लेकिन हमारी बुद्धि से इसमें अंतर दिखाई देता है। कोई भी भगवान छोटा-बड़ा नहीं है। यह हमारी बुद्धि का भ्रम है। निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। जब तक मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक मुक्ति नहीं मिल सकती है। मन अगर शुद्ध हो गया तो चरित्र भी शुद्ध हो जाएगा और अगर चरित्र शुद्ध होगा तो श्रीकृष्ण तक अवश्य पहुंच जाओगे। बाल सुलभ सरलता एवं निश्छलता ही ईश्वर प्राप्ति की सच्ची योग्यता हैं।
साधक जब भव भय हरण गिरिराजधरण की पावन शरण स्वीकार करता है।पंडित श्री मिश्रा ने शुक्रवार को कथा के विश्राम दिवस पर कहा कि साधक जब भव भय हरण गिरिराजधरण की पावन शरण स्वीकार करता है, तब प्रभु अपने शरणागत सेवकों को संसार के भय से निर्भय कर,सदा के लिए अपना बना लेते है,भक्त के जीवन कर्तव्य रूप सारे भार को गोवर्धन पर्वत की भांति उठा लेते हैं। भगवान की भक्ति और आस्था में दिखावा नहीं करना चाहिए।कथा के विश्राम दिवस पर कहा अर्जुन की भांति बनो।
कथा के विश्राम दिवस पर उन्होंने कहा कि इंसान को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने पर सुझाव देते हुए कहा कि इंसान को अर्जुन की भांति लक्ष्यार्थी बनना चाहिए। लक्ष्यहीन जीवन अर्थहीन है। बिना लक्ष्य के जीवन एक भटकाव है। इसलिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है। लक्ष्य मनुष्य का न केवल भविष्य बदलता है अपितु उसके वर्तमान जीवन को भी संवरता है। जिस कार्य को अब तक प्राथमिकता दी जा रही थी, लक्ष्य बनाते ही वह प्राथमिकता बदल जाती है। भगवान श्री कृष्ण के ज्ञान से अर्जुन के मन में युद्ध से पूर्व पैदा होने वाली तमाम शंका धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। भगवान ने अर्जुन से कहा कि ये युद्ध किसी के स्वार्थ का हिस्सा नहीं है बल्कि समाज के कल्याण हेतु इस युद्ध का होना अनिवार्य है। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कर्मयोगी बनो पार्थ इसी में सबका कल्याण हैं। यदि तुम अपने कर्तव्य के पालन से भागोगे तो फिर अपने कर्तव्यों का पालन कौन करेगा। समस्त संसार मेरी इच्छा अनुसार चलता है, किंतु फिर भी मैं कर्म करता हूं। क्योंकि जिस दिन मैंने कर्म करना छोड़ दिया, तो ये कर्मचक्र रुक जाएगा और कोई भी इसका निर्वाह नहीं करेगा।
भव्य शोभा यात्रा निकाली गई
अग्रवाल महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि भागवत कथा के विश्राम दिवस पर भव्य रूप से शोभा यात्रा निकाली गई थी, जो क्षेत्र बड़ा बाजार, चरखा लाइन और खजांची लाइन होते हुए कथा स्थल पर पहुंची। शोभा यात्रा का 100 से अधिक स्थानों पर घर-घर से पुष्प वर्षा कर और आरती उतारकर स्वागत किया गया