अनुराग शर्मा सीहोर
राजधानी भोपाल में डेरा डालों आंदोलन
सीहोर। लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में शनिवार को प्रदेश के अनेक जिलों के सभी विभागों के संयुक्त मोर्चा के कर्मचारी शहर के प्राचीन गणेश मंदिर पर एकत्रित और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेकर पैदल ही बारिश के मध्य भोपाल के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष वासूदेव शर्मा ने बताया कि अब रविवार को भोपाल में डेरा डालों आंदोलन किया जाएगा।
जिले में 52 विभागों के बड़ी संख्या में कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर शहर सहित सभी ब्लाकों में प्रदर्शन कर रहे है।
इस संबंध में मोर्चा जिलाध्यक्ष रविवार को राजधानी भोपाल में शाहजानी पार्क में डेरा डालों आंदोलन किया जाएगा। हमारी प्रमुख चार मांग है। जिसमें आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारियों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बुलाकर इनकी मांगों का निराकरण किया जाए। नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर समाप्त कर कार्यरत कर्मियों का विभाग में संविलियन किया जाए।जन स्वास्थ्य रक्षक, गौसेवक, संविदा प्रेरक, सर्वेक्षण सहायकों एवं निकाले गए कर्मियों की सेवा बहाली की जाए। आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 21,000 रूपए किया जाए, जिससे बढती महंगाई में राहत मिल सके। संवेदनशीलता दिखाते हुए प्रतिनिधि मंडल को मिलने एवं सम्मेलन बुलाने का समय आवंटित कर सहयोग करेंगे।
आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष श्री शर्मा ने बताया कि 2003 में सत्ता परिवर्तन में शासकीय विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन, अस्थाई, मस्टर कर्मचारियों के सवाल राजनीतिक चर्चा में सर्वोच्च स्थान पर रहे। भाजपा की मुख्यमंत्री प्रत्याशी उमा भारती ने स्वयं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के सवालों को लेकर प्रदेशभर में अभियान चलाया था, मीडिया विमर्श का भी प्रमुख मुद्दा रहा था। 20 साल बाद 2023 में स्थिति पहले से ज्यादा भयानक है, दैनिकवेतन भोगी अब भी जिस स्थिति में पहले थे उसी स्थिति में अब भी है, उनका नियमितीकरण नहीं हुआ है, जबकि भाजपा का वादा भी यही था।
पिछले 15-18 साल में सरकारी विभागों की नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर पैदा हुआ है, यह अब तक का सबसे अन्यायकारी, पीड़ादायक कल्चर है, सभी 56 विभागों, निगम मंडलों, नगरीय निकायों, बैंकों, पंचायतों, एमपीईबी, सहकारिता, दुग्ध संघ आदि सभी जगह आउटसोर्स, ठेका कल्चर फैल चुका है, जिसमें 12 से 15 लाख कर्मचारी काम करते हैं, जो सरकार का महत्वपूर्ण काम करते हैं, इमर्जेंसी सेवाओं में भी यही कर्मचारी लगे हुए हैं। सभी 25 से 35 साल के युवा हैं, यह पूरी एक पीढ़ी है, जिसके साथ सरकार अन्याय कर रही है। सरकारी विभागों का 80 प्रतिशत ठेका करण हो चुका है, जो चिंता का विषय है। सरकार के पास व्यावसायिक शिक्षक नहीं हैं, कंप्यूटर आपरेटर नहीं हैं, ड्राइवर नहीं हैं, डायल-100 नहीं है, एंबूलेंस 108 नहीं हैं। वैक्सीन लिफ्टर (एवीडी) नहीं हैं, योग प्रशिक्षक नहीं हैं। क्लास-4 एवं क्लास-3 की भर्तियां 2003 के बाद हुई ही नहीं हैं, जबकि समाज के गरीब, मध्यमवगीय परिवारों के बच्चों को सबसे अधिक रोजगार इन्हीं नौकरियों में मिलता है। सरकारी विभाग नहीं बचेंगे, तब नौकरियां कहां मिलेंगी, यह सवाल है, जिस पर 2023 के विधानसभा चुनावों में प्रमुखता से चर्चा होनी चाहिए। पहली बार प्रदेश के 12-15 लाख आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका, दैवेभो, अंशकालीन, मस्टर कर्मचारी आउटसोर्स अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के मंच पर अपने साथ होते आ रहे अन्याय के खिलाफ बोलने जा रहा है।