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बुधादित्य योग के संयोग में नाग पंचमी एक साल बाद खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

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उज्जैन। पंचांग की गणना के अनुसार 21 अगस्त को सालों बाद बुधादित्य योग में नागपंचमी का पर्वकाल आ रहा है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में एक साल बाद 24 घंटे के लिए भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। इस दिन भगवान महाकाल की सवारी भी निकलेगी। घरों में कुल परंपरा अनुसार नागदेवता का पूजन होगा।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया द्वितीय शुद्ध श्रावण शुक्ल पक्ष की नागपंचमी सोमवार के दिन चित्रा नक्षत्र, शुभ योग, बव करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में 21 अगस्त सोमवार को आ रही है। इसी दिन महाकालेश्वर की सवारी का अनुक्रम भी रहेगा।

ग्रहों में शुक्र का बाल्यत्व समाप्त होगा तथा बुध वक्रि होंगे। इस दिन कुल तथा लोक परंपरा के अनुसार नाग देवता के पूजन की मान्यता है। नाग देवता के पूजन करने से अरिष्ट और अनिष्ट की निवृत्ति होती है ऐसा शास्त्रों का मत हैं। उज्जैनी में नाग मंदिरों की पौराणिक मान्यता है।

यह खास योग

ग्रह गोचर की गणना के अनुसार देखे तो 21 अगस्त सोमवार के दिन सूर्य व बुध सिंह राशि में उपस्थित रहेंगे। सिंह राशि के अधिपति स्वयं सूर्य हैं और वह बुध के मित्र हैं। सूर्य व बुध की युति जब साथ में रहती है तो बुधादित्य योग का निर्माण करती है। बुधादित्य योग में आने वाला पर्व अथवा त्योहार विशेष इसलिए भी हो जाता है कि कर्म की साक्षी के प्रधान देवता व प्रकट देवता भगवान सूर्यनारायण हैं।

इनकी साक्षी में कोई भी पर्व विशेष फल प्रदाता माना गया है। साथ ही बुध कार्य की सिद्धि व सफलता को देने वाला है संयोग से नाग की पूजन के लिए बुध का अनुकूल होना नाग पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। बुध आदित्य योग कार्य की सफलता के लिए अनुकूल बताया गया है।

चंद्र पंचमी के साथ शुभ योग की भी साक्षी

राजस्थान, गुजरात के साथ मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में श्रावण शुक्ल पंचमी को चंद्र पंचमी के नाम से भी संबोधित करते हैं। इस दौरान भारतीय ज्योतिष शास्त्र में उपस्थित 27 योगों में शुभ योग की भी साक्षी रहेगी। शुभ योग की स्वामिनी लक्ष्मी देवी है एवं सोमवार के दिन पंचमी तिथि व शुभ योग का संयोग भी धन प्रदान करने वाला बताया गया है। इस दिन नाग देवता के साथ-साथ लक्ष्मी देवी की भी साधना करनी चाहिए जिससे आर्थिक बाधा और उसका निराकरण हो सके।

अहोरात्र काल रहेगा चित्रा नक्षत्र

नक्षत्र गणना के अनुसार देखे तो चित्रा नक्षत्र की साक्षी अहोरात्र पर्यंत रहेगी इस नक्षत्र का अधिपति विश्वकर्मा है। जिन्हें त्वष्टा भी कहा जाता है। जिन लोगों को भूमि भवन संपत्ति में कोई बाधा आ रही हो तो वे लोग भी इस नक्षत्र की साक्षी का लाभ ले सकते हैं।

स्कंद पुराण में अवंती खंड में नाग देवता के स्थान

स्कंद पुराण के अवंति खंड में नाग देवता के स्थान की भी मान्यता बताई गई है राम घाट क्षेत्र में नरसिंह घाट के मध्य में नाग देवता के स्थान का उल्लेख पौराणिक दृष्टिकोण से बताया गया है। चूंकि नाग पंचमी पर नाग पूजन की मान्यता के चलते रामघाट तीर्थ पर सिद्धवट घाट पर प्रेतशिला तीर्थ के पास में भी मान्यता के चलते पूजन करने की परंपरा है। जन्मकुंडली में कालसर्प दोष है, तो उन्हें उज्जैनी आकर शांति विधि करनी चाहिए।

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