समान नागरिक संहिता(UCC) पर चर्चा के लिए संसद भवन में संसदीय स्थायी समिति की बैठक हुई। इस बैठक में यूसीसी को लेकर विभिन्न मुद्दों और सुझावों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद भी शामिल हुए। स्थायी समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद सुशील मोदी के मुताबिक बैठक में सभी हितधारकों के विचार सुने गये। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में यह बिल संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है।
समिति के सदस्य
यूसीसी के लिए जिस समिति का गठन किया गया है उसके अध्यक्ष सुशील मोदी हैं। इसके अलावा समिति में BJP के महेंद्र सिंह सोलंकी, संध्या राय, दर्शना सिंह, सुरेश पुजारी, उपेंद्र सिंह रावत, ओमप्रकाश, प्रदान बरुआ, रमेश पोखरियाल निशंक, ज्योतिर्मय सिंह महतो,चावड़ा विनोद लखमाशी, महेश जेठमलानी शामिल हैं। इनके अलावा कांग्रेस से मनिकम टैगौर, कुलदीप राय शर्मा, जसबीर सिंह और विवेक के तन्खा शामिल हो रहे हैं। अन्य नेताओं में शिवसेना के संजय राउत और राजन बाबूराव विचारे, लोजपा से वीणा देवी, TRS से केआर सुरेश रेड्डी और वेंकटेश बोरलाकुंटा, DMK नेता अंडीमुथु राजा और पी विल्सन, TMC के कल्याण बनर्जी, चौधरी मोहन जटुआ और सुखेंद्र शेखर रॉय, YSRCP के कनुमुरु रघु राम कृष्ण राजू, TDP की कनक मेदला रवींद्र कुमार, NCP की वंदना हेमंत चव्हाण और BSP के मलूक नागर शामिल हैं।
बेसिक फ्रेमवर्क तैयार
उधर, लॉ कमीशन ने अब तक मिले करीब साढ़े 9 लाख सुझावों के आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बेसिक फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है। इसमें लैंगिक समानता पर सबसे अधिक जोर दिया है। पूजा, नमाज़ और शादी विवाह के तौर तरीक़ों पर कोई रोक नहीं, सभी अपने धार्मिक नियमों का पालन कर सकेंगे। बेसिक फ्रेमवर्क के मुताबिक, सभी को शादियां रजिस्टर्ड करनी होंगी लेकिन ट्राइबल्स को जरूरी रियायतें मिलेंगी। इसके साथ ही सभी को अडॉप्शन का अधिकार दिया जाएगा। गार्डियनशिप से जुड़े कानूनों को आसान किया जाएगा।
मुस्लिमों के लिए सुझाव
यूसीसी के लिए तैयार बेसिक फ्रेमवर्क के अनुसार, बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी। इसके अलावा इद्दत और हलाला पर भी रोक लगेगी। इसके साथ ही मुस्लिम महिलाओं को गुजारे भत्ता का अधिकार भी मिलेगा। उत्तराधिकार में लड़की और लड़के दोनों को बराबर का हिस्सा मिलेगा। पति की मौत होने और बेटा न होने की सूरत में मुस्लिम महिला को संपत्ति का पूरा हिस्सा मिलेगा। तलाक के एक जैसे आधार होंगे, जो आधार पुरुष के लिए होगा, वही स्त्री के लिए भी होंगी। वहीं सुझाव के आधार पर इसमें संशोधन भी किए जा सकेंगे।
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