धार्मिक अनुष्ठान में उत्साह उज्जवल भविष्य का प्रतिक है,संकल्प पूर्वक साधना मोक्षमार्ग में अनिवार्य है-आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
सुरेन्द्र जैन रायपुर
डोंगरगढ़।संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है।आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि गाड़ी कही छुट न जाए इसलिए कुछ व्यक्ति अपनी मित्र मण्डली को भी छोड़ देते हैं और गाडी को पकड़ने का प्रयास करते हैं।इस अवसर (चातुर्मास कलश स्थापना एवं चातुर्मास) का लाभ प्रतिभास्थली कि छात्राओं को भी मिलेगा। धार्मिक अनुष्ठानों में इस प्रकार का उत्साह आपके उज्जवल भविष्य को दिखाता है। आप लोगो के चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम के पहले ही हमने अपने चातुर्मास का प्रतिक्रमण आज प्रातः काल में ही कर लिया जिसमे लगभग 2 से 2 ½ घंटे का समय लगा ताकि कल आपका चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम देखने को मिले। सौधर्म इंद्र एक साथ १७० पंच कल्याणक के अवसर का मुखिया होता है। इसमें १६वे स्वर्ग तक के देव भी शामिल होते हैं और इस अवसर पर सौधर्म इंद्र का वैभव अलग ही रहता है। पूंजी लगाने में आगे पीछे देखोगे तो समवशरण में जाने पर देखने बस मिलेगा।शास्त्रों के माध्यम से भगवान के समवशरण के बारे में पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है कि स्वप्न देख रहे हैं और जब सही में देखेंगे तो लगेगा कि स्वप्न ही देख रहे हैं।ज्ञान का विषय बनाते हुए मोक्षमार्ग कि ओर बढ़ते हैं। यह अवसर प्राप्त करने के लिये निरंतर प्रयास किया जाता है। साधना को कर्तव्य मानकर निरंतर प्रयास करता है तो लक्ष्य प्राप्त होता है। यह तो आत्मा का स्वभाव है इसे मात्र देखने कि आवश्यकता है। जो प्रथम श्रेणी में आ जाता है तो उससे पूछते हैं कि तुमने इसके लिये क्या और किस प्रकार से तैयारी कि तो वह कहता है मैंने तो केवल निकलने का प्रयास किया है यही पर्याप्त है। ऐसे ही हमें समवशरण मिल जाए यही पर्याप्त है। समवशरण में कायोत्सर्ग भी किया जाता है जो एक घंटे, दो घंटे या इससे अधिक भी हो सकता है। संकल्प करने से और आस – पास रहने से आगे बढ़ने कि शिक्षा मिलती रहती है। पहले जो चातुर्मास हुआ था उसी में चन्द्रगिरी के कार्य कि शुरुवात हुई थी और इस चातुर्मास में वह पूर्णता कि ओर अग्रसर है। ऑनलाइन में आप लोग 15 दिन पूर्व से ही चातुर्मास कि घोषणा किये जा रहे थे कि कही महाराज का विहार हो गया तो इस हेतु हमारा कभी भरोसा नहीं रखना चाहिये। हां हम बोलेंगे तो हम बंध जायेंगे और ना बोलेंगे तो आप नाराज हो जायेंगे इसलिए केवल देखलो ऐसा बोलकर आपकी प्यास को और बढ़ा देते हैं। चातुर्मास में समय का सदुपयोग करना है उसके निष्ठापन तक संकल्प को पूरा करना है। उत्साह सभी में भरपूर है। धार्मिक कार्य (अनुष्ठान) में उत्साहित करने से भी बहुत कुछ काम होता है। ऐसे ही आप लोग उत्साहित हो और औरों को भी उत्साहित करते रहो।आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी सीमा दीदी, श्रद्धा दीदी, व्रती शोभा जी जैन, उर्मिला जी जैन, विशाल जी जैन, विकास जी जैन (सी.ए.) ललितपुर (उत्तरप्रदेश) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी। श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ के चातुर्मास कलश स्थापना 2 जुलाई २०२३ दिन रविवार को होगी। क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है।