इंदौर। कम समय लोगों को पैसा डबल करने का लालच देकर ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन कलेक्टोरेट के कर्मचारी-अधिकारियों द्वारा इन आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में 15 हजार से भी अधिक शिकायतें पेंडिंग हो गई है। कार्रवाई नहीं होने से चिटफंड कंपनियों के हौसलें बुलंद हैं और वे लगातार सीधे-साधे लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। कुछ कंपनियां तो ऐसी हैं जिनके खिलाफ लोग प्रतिदिन शिकायतें कर रहे हैं।
जानकारी अनुसार कलेक्टर ऑफिस में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों को बंडल बनाकर रखा गया है। इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें क्यों पेंडिंग हुई इसका कारण बताने में कर्मचारी अलग-अलग तरह के बहानेबाजी कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सीधे-साधे लोगों को निशान बना रही चिटफंड कंपनियों के खिलाफ करीब दो वर्षों से कोई कार्रवाई ही नहीं की गई है।
यह भी जानकारी सामने आयी है कि कर्मचारियों ने इन आवेदनों को कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों के समक्ष पेश ही नहीं किया गया है। वे वर्कलोड अधिक होने और अन्य प्रकार के बहाने बना रहे हैं। जीएन गोल्ड और जी-लाइफ ऐसी चिटफंड कंपनियां हैं जिनकी शिकायतें सबसे ज्यादा हैं। इनमें भी जीएन गोल्ड की शिकायतें ज्यादा हैं। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि कलेक्टर कार्यालय द्वारा पत्र भेजकर इन कंपनियों की संपत्ति आदि के बारे में जानकारी मांगी गई है, लेकिन किसी भी कार्यालय ने अभी तक कुछ भी दस्तावेज कलेक्टोरेट नहीं भेजे हैं।
हर रोज मिल रही 15-20 शिकायतें
सूत्रों के अनुसार कलेक्टोरेट में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हर दिन 15 से 20 शिकायतें मिल रही हैं। सिर्फ इंदौर ही नहीं देवास, उज्जैन और आस-पास के अन्य जिलों के रहवासी भी इंदौर कलेक्टर कार्यालय में इस आशा के साथ शिकायतें करते हैं कि इस पर कार्रवाई होगी, लेकिन उन्हें निराशा ही मिल रही है।
उधर, दूसरी ओर कार्रवाई नहीं होने से चिटफंड कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के हौसले बुलंद हो रहे हैं। बताया जाता है कि चिटफंड कंपनियों के खिलाफ आखिरी बार कार्रवाई 2021 में हुई थी। इसके बाद से इनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
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