सुरेन्द्र जैन धरसीवा
तिल्दा नेवरा अत्यधिक व्यस्तता भरे जीवन में न केवल व्यस्क वरन बच्चे भी अवसाद या अन्य बीमारियों से ग्रस्त होने लगे हैं | जिसके निदान के लिए आवश्यक है की बच्चों में छोटी उम्र से ही योग की आदत डाली जाए | योग से स्वास्थ्य लाभ के साथ ही विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बन ने की भी सिख मिलेगी | उन्हें प्रतिदिन ध्यान भी करना चाहिए जिस से उनकी बुद्धि तेज तथा चित्त शांत हो | इस से आत्म विश्वास बढ़ता है और बच्चों को अपनी उर्जा का सकारत्मक कार्यों में प्रयोग करने की शिक्षा मिलती है | योग शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता में भी वृद्धी करता है |शरीर में होने वाली बीमारी जैसे खांसी, जुकाम, मधुमेह, रक्तचाप आदि रोगों से मुक्ति दिलाता है तथा पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है |
हमारी भाग दौड़ भरी जीवनशैली का बुरा असर सिर्फ बड़ों पर नहीं पड़ रहा, बल्कि बच्चे भी इस खराब लाइफस्टाइल का शिकार हो रहे हैं। आगे चलकर कहीं आपके बच्चे अवसाद या कोई और अन्य बीमारी से ग्रस्त ना हो जाएं इसके लिए जरूरी है कि बच्चों में छोटी उम्र से ही योग की आदत डाली जाए। योग ना केवल उन्हें स्वस्थ रखेगा बल्कि जीवन में एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद करेगा। योग से बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। योग मस्तिष्क को शुद्ध, शरीर में होने वाली बीमारी जैसे कफ, खांसी, जुकाम आदि रोगों से मुक्ति दिलाकर पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
योग दिवस प्रेम, शांति और एकता का प्रतीक है। योग से शांति मिलती है। योग ने देश की सीमाओं को पार किया है। यदि मस्तिष्क शरीर का मंदिर है तो योग एक सुंदर मंदिर का निर्माण करता है। इस बात के कई प्रमाण हैं कि योग तनाव और जटिल बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
योग हामारी प्राचीन सभ्यता की एक अनमोल देन है | योग एक ऐसी अमूल्य साधना है जो मनुष्य के शरीर, मन और मस्तिष्क को शुद्ध करता है, इनमें सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा और उत्साह प्रदान करता है | संतुलित खान पान तथा नियमित योगाभ्यास एवं साधना द्वारा मनुष्य जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न कर सकता है | आवश्यकता है तो इसके नियमित अभ्यास तथा अनुशासन पूर्ण आचरण की | विद्यार्थियों से नियमित योग करने की प्रतिज्ञा के साथ ही उन्हें माता पिता एवं शिक्षकों की आज्ञा का सदैव पालन करने की समझाइश दी गई | जे.बी.स्कूल में प्रत्येक सत्र में योग शिक्षा एवं व्यायाम द्वारा विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैदिकेन ।योपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोस्मि॥
जिन्होंने मन की शांति और पवित्रता के लिए योग दिया, भाषण की स्पष्टता और शुद्धता के लिए व्याकरण दिया, और स्वास्थ्य की पूर्णता के लिए औषधि, आइए हम महान ऋषि पतंजलि को नमन करें। इस अवसर पर प्रधानाचार्या – ममता ऐरीशाला के स्पोर्ट्स शिक्षक (क्रीड़ा प्रभारी)डिगेश यादव एवं चित्ररेखा वर्मा ने बच्चों एवं शिक्षकों को योग करवाया।