भेद विज्ञान मोक्षमार्ग में अनिवार्य है ,आत्मा शरीर को भिन्न मानना भेद विज्ञान है- आचार्य श्री विद्यासागर महाराज .
सुरेन्द्र जैन धरसींवा रायपुर
डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि तीन चार दिनों से एक कुत्ता भूखा गाँव में भोजन कि तलाश में इधर – उधर भटकता रहता है | गाँव के बाहर एक मृत पशु कि चमड़ी को निकल कर उसके शेष शरीर को वही कोई फेक देता है | वह कुत्ता उस मृत पशु के शरीर के पास जाता है और चारों तरफ घूम कर देखता है कि उसके खाने के लिये कुछ नहीं बचा है फिर वह अपना मुह उसके अन्दर डाल देता है वहाँ उसे कुछ दिखाई देता है जिसे देखकर वह संतुष्ट होता है कि इससे मेरा काम हो जायेगा | फिर वह उसे खाने लग जाता है जिसमे उसे बहुत स्वाद और रस आ गया | जैसे – जैसे वह उसे और अधिक खाने लगता है तो उसे और अधिक रस आने लगता है | कुछ समय बाद उसको भेद – विज्ञान हुआ कि मेरे मसूड़ों से खून निकल रहा है उसे ही मैं स्वाद लेकर खा रहा हूँ | भेद विज्ञान अपने आपमें महत्वपूर्ण है | अपढ़ हो तो उसे होने कि सम्भावना है और ज्यादा पढ़े लिखे हो तो नहीं भी हो सकता है | आप किस श्रेणी में आते हैं अपढ़ या ज्ञानी बताइये ये मेरी जिज्ञासा है | अपढ़ किसी के साथ नहीं रह पाता | आप लोग ने तो सभा बना रखी है | ग्राहक भी बहुत होशियार होता है वह कुछ खरीदने के लिये बाज़ार जाता है और दाम पूछता है तो दूकानदार उस वस्तु का मूल्य पचास रूपए बताता है | तो ग्राहक कहता है यह तो बहुत महंगा बता रहे हो मेरे पिता जी तो कम रेट बता रहे थे | फिर दूकानदार पूछता है कितने में लोगे तो वह ग्राहक कहता है ढाई रूपए में देदो | दूकानदार कहता है ढाई रूपए में कैसे देदू कम से कम पंद्रह रूपए लगेगा | जमाना ऐसा ही है कभी कोई वस्तु का मूल्य चढ़ जाता है तो कभी उतर भी जाता है | ये तूफ़ान कि भांति हो रहा है आठ – दस दिन से सुन रहे हैं कि अब आ रहा है अब आ रहा है | सब घबरा गए अब कह रहे है कि वह घूम गया ये कोई वाहन है जो स्टेरिंग घुमा तो घूम जायेगा कि मुंबई बीच में आता है | सामान्यतः मानसून केरल कि तरफ से आता है | संसार में भेद विज्ञान के अभाव में कहाँ से कहाँ कहाँ से कहाँ से कहाँ घूम रहे है | वह कुत्ता सोचता है कि यदि थोडा और चबा दूं तो मुह ही जीवन भर के लिये ख़राब हो जायेगा | भेद विज्ञान बड़ी – बड़ी पोथी पुराण पढने पर भी नहीं हो पाता है | भेद का विज्ञान होने से किसका किससे भेद है | इस शरीर से मै पृथक हूँ एवं यह शरीर जो मै नहीं हूँ यह भेद विज्ञान है | यह किसी से पूछने कि आवश्यकता नहीं है | फिर मानने में क्यों नहीं आ रहा है | दुकानदार कि तरह गरज आपको है या ग्राहक को काम है | आचार्य समन्तभद्र महाराज ने बताया कि यह शरीर अनात्मा है ये अनित्य, अशुभ और अशरण है | ये आप मानते हो कि मै ऐसा नहीं हूँ | कोई कष्ट होता है तो डॉक्टर भी क्यों न हो वह अपने बच्चे कि चिकित्सा नहीं करता है वह घबरा जाता है यह मोह है | बहुत से लोग आते हैं और कहते हैं महाराज आशीर्वाद दो यह मेरा बेटा है, यह मेरा पोता है, यह मेरा नाती है, यह मेरा दामाद है, यह मेरी बहु है आदि | जहाँ यह शरीर अपना नहीं वहाँ ये सब आपके कैसे हो सकते हैं यही भेद विज्ञान समझना है | “जहाँ देह अपनी नहीं, वहाँ न अपना कोय | घर – संपत्ति सब पर प्रकट है, पर है परिजन लोय |” स्पर्श, रस, गंध यह सब शरीर के लिये है मै इससे भिन्न हूँ | भेद विज्ञान मोक्षमार्ग में अनिवार्य है | आप लोग बहुत दूर – दूर से आये हैं | जो कुछ आपको बताया वह सब अपने परिवार को, समाज को, गाँव – नगर वालों को सभी को बताना और ये भी बताना कि यहाँ बहुत पास से और बहुत अच्छे से दर्शन हुए | हमेशा यही शिकायत रहती है कि आपके दर्शन ही नहीं होते हैं महाराज तो सभी को बताना कि बहुत अच्छे से और पास से दर्शन करके आये हैं | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री विक्रांत – अलका बाझल (नागपुर), श्री वीरेंद्र – आराधना जैन (सिवनी), श्री राहुल राज – आरती जैन ( चेन्नई) परिवार को प्राप्त हुआ