सागर। आठ दशाब्दि पूर्व श्री तारण तरण दिगम्बर जैन चैत्यालय जी सागर में स्थापित तीन मंगल जिनवाणी वेदियों पर पुनः स्वर्ण जड़ित करने का सौभाग्य समाज के तीन परिवारों द्वारा संपन्न हुआ।
अमित समैया गुड्डू ने बताया कि बेदियों पर पुनः जिनवाणी एवं कलश स्थापन आयोजन दशम् प्रतिमाधारी बाल ब्र. युवारत्न आत्मानंद एवं प्रतिष्ठाचार्य पं. रतनलाल जैन भोपाल वालों के मंगल सानिध्य एवं निर्देशन में हुआ। अखिल भारतीय तारण तरण महासभा न्यास द्वारा संकलित श्री जिन तारण तरण स्वामी के ग्रंथों की हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ आध्यात्मवाणी जी प्राप्त हुई हैं जिन्हें पालकी जी में विराजमान कर शोभा यात्रा द्वारा श्री चैत्यालय जी की वेदियों पर विराजमान किया गया।
प्रातः 14 ग्रंथों का वांचना पाठ हुआ
विशेष एवं नित्य पाठ, वेदी शुद्धि अनुष्ठान, शुद्धिकरण, श्री 14 ग्रंथों का पाठ समापन मंदिर विधि एवं छत्र चौहार, ध्वजारोहण, हस्तलिखित आध्यात्मवाणी जी विराजमान रखने की पुर्ण्योजक बोलियाँ हुई।
प्रातः विशेष नित्य पाठ के बाद श्री पालकी जी की भव्य शोभायात्रा श्री चैत्यालय जी पहुंची 11:30 बजे ध्वजगीत, मंगल कलशों के साथ जिनवाणी जी का वेदियों पर पुनः स्थापना, कलशों का पुनः स्थापन छत्र चौहर की साज सज्जा सहित शिखर पर ध्वजारोहण वृहद मंदिर विधि अस्ताप एवं तिलक प्रभावना हुई। कार्यक्रम में विधायक शैलेंद्र जैन समाजसेवी श्रीमंत सेठ अशोक जैन काका, जैन समाज के अध्यक्ष मुकेश जैन ढाना, ऋषभ समैया, अजीत समैया, संतोष समैया, उमेश समैया, सुभाष कंडया, सीए दुष्यंत गोयल, प्रकाश जैन छोटे गुड्डू, मुकेश समैया, अनुराग समैया, अंकुर समैया, अजय समैया, तरुण समैया सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।
न्यूज सोर्स- श्री मुकेश जैन ढाना