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कार्यानुभव से कार्य में दक्षता आती है,अनुभवी कर अनुशरण करना चाहिये-जैन आचार्य विद्यासागरजी

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सुरेन्द्र जैन रायपुर

डोंगरगढ़ चन्द्रगिरि में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने एक दृष्टान्त के माध्यम से बताया कि एक बहुत छोटा बालक रहता है जो अभी ना तो अच्छे से चल सकता है और ना ही स्पष्ट पूरा – पूरा बोल सकता है | उससे कुछ दूरी पर ही एक दिया जलता रहता है जिसे वह बार – बार देखता है और उसे पकड़ने का प्रयास करता रहता है तभी उसकी माँ वही बैठी थी कुछ काम कर रही थी उसकी नज़र उसपर पड़ी तो उसने उस दिया को वहाँ से हटा दिया | ऐसा वह दो तीन बार करती है | कुछ दिन पश्चात् वह बालक अपनी माँ से छुपकर उस दिये को पकड़ लेता है फिर उसको जोरों का चटका लगता है और वह जोर – जोर से रोने लगता है तभी उसकी माँ वहाँ आ जाती है और उसे डांटने लगती है कि इतने बार मना करने पर भी नहीं मानता है ले और पकड़ दिये को लग गया ना चटका | अब वह बालक कभी भी उस दिये को नहीं पकड़ेगा क्योंकि उसको इसका अनुभव हो गया है कि इसे छुने से हाथ जल जाता है | यह सब अनुभव कि बात है बच्चे कि माँ ने समझाया पर वह बालक को समझ नहीं आया पर जब उसको इसका अनुभव हुआ तो वह इसे अब जीवन पर्यन्त याद रखेगा और दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा | एक दिन वह बालक अपने बड़े भाई से कहता है कि देखो मेरी तर्जनी ऊँगली दिया से जल गयी | बड़ा भाई बोलता है कि देखो मेरा तो दोनों हाँथ जला था | बुजुर्गों को कार्य का अनुभव अधिक होता है इसलिए उनकी बातों को मानना चाहिये ताकि आगे आपको किसी प्रकार कि परेशानी ना हो | एक दिन एक लड़का आया और कहता है महाराज आप अपना अनुभव बताये | हमने कहा हम अपना अनुभव आपको कैसे बताये आपको क्या समझेगा आप किस बात का अनुभव सुनना चाहते हैं आपकी क्या योग्यता है आदि | पहले अनुशरण करो तो अनुभव धीरे धीरे आ जायेगा | ऐसे एक दिन में अनुभव को कैसे साझा किया जा सकता है | आज भारत में शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाया जा रहा है जबकि इसके पहले लगभग 200 – 250 सालों से अंग्रेजो कि बनाई शिक्षा पद्धति इंडिया में चलाई जा रही थी और आज भारत में नई शिक्षा पद्धति लाई जा रही है जिसे बहुत पहले ला लिया जाना चाहिये था | एक शिक्षक को विद्यार्थियों को पढ़ाने के पहले उस विषय का पूर्ण अध्यन शोध आदि करना आवश्यक है क्योंकि आज के बच्चे नए नए प्रश्न पूछते है जिसका जवाब शिक्षक के पास यदि ना हो तो फिर उसे उस विषय में और अधिक पढाई और शोध कि आवश्यकता होती है | विद्यार्थियों कि नई – नई जिज्ञासाओं से ही शिक्षक नए – नए शोध करता है जिससे उनका अनुभव बढ़ता है | आज विद्यार्थियों में अतिरिक्त विषय लेने का प्रचलन बढ़ रहा है जबकि उन्हें जो उनका मुख्य विषय है उस पर पहले अधिक ध्यान देने कि आवश्यकता है जिसके लिये उन्हें अपने से ज्यादा अनुभवी से संपर्क कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने लक्ष्य कि प्राप्ति कि लिये अधिक परिश्रम आवश्यक है | इस प्रकार जिनवाणी माँ भी हमें कहती है कि पहले जिनवाणी को पढो, ज्ञानार्जन करो तदनुसार आचरण करो | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी रिया दीदी, सुप्रिया दीदी, प्रियांशी दीदी बरखेडा (गुना) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है |

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