जबलपुर। कुटुम्ब न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि भरण-पोषण राशि प्राप्त करने के लिए ठोस कारण आवश्यक है। इस मामले में पत्नी बिना किसी पर्याप्त कारण के यानि अकारण पति से अलग रह रही है। लिहाजा, वह भरण-पोषण राशि प्राप्त करने की हकदार नहीं है। उसका आवेदन निरस्त किया जाता है। कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश केएन सिंह की अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जबलपुर निवासी महिला की ओर से पक्ष रखा गया। उसके वकील ने दलील दी कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत महिला भरण-पोषण की राशि पाने की अधिकारी है। वह अपने पति से अलग रह रही है।
यह दी गई दलीलेंः
बहस के दौरान अदालत को अवगत कराया गया कि आवेदिका का विवाह 29 अप्रैल 2016 को इलाहाबाद निवासी युवक के साथ हुआ था। आवेदिका का आरोप है कि उसका पति व ससुराल वाले उससे मारपीट करते थे और पैसे की मांग करते थे। वहीं दूसरी ओर अनावेदक पति की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि शादी के छह माह बाद यानि 23 नवंबर से ही आवेदिका पति से अलग रहने लगी। वह बिना बताए और झूठ बोलकर घर से चली गई। आवेदिका निजी बैंक में नौकरी कर रही है और उसके एकाउंट में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है। उसने बैंक लोन से कार भी ले रखी है। दरअसल, पति व ससुराल वालों पर लगाया गया मारपीट का आरोप बेबुनियाद है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि उसके संदर्भ में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आवेदिका द्वारा ससुराल पक्ष के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना का झूठा प्रकरण दायर किया गया था, जिसे पूर्व में अदालत निरस्त कर चुकी है। कुटुम्ब न्यायालय ने सभी तर्क सुनने के बाद भरण-पोषण राशि दिलाए जाने का आवेदन निरस्त कर दिया।
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