ग्वालियर। इसमें कोई दो राय नहीं कि कमल नाथ के पास धनसंपत्ति है, हवाई जहाज है और वह सब रिसोर्सेज हैं जो राजनीति के लिए जरूरी होता है इसलिए उनका सीएम कैंडिडेट होना कांग्रेस की जरूरत है। यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कही। तो क्या आप इसे मजबूरी कहेंगे ? हां आप इसे मजबूर कह सकते हैं लेकिन राजनीति और चुनाव लड़ने के लिए यह सब जरूरी होता ही है। तन्खा शुक्रवार को ग्वालियर प्रवास के दौरान बात कर रहे थे। कमल नाथ के आम लोगों से कम मेलजोल के सवाल पर तन्खा ने स्वीकार किया कि उनकी सेहत और उम्र भी इसका एक कारण हैं बाकी हम सब तो हैं ही सभी लोगों से मिलने जुलने के लिए। क्या कांग्रेस में सिंधिया प्रकरण टाला जा सकता था? तन्खा बोले- देखिए उस वक्त बहुत सारी चीजें की जा सकती थी लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है इसलिए अब इस पर बात करने से कुछ नहीं होगा। हालांकि तन्खा ने कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट जो कर रहे हैं वह थोड़ी जल्दबाजी है अभी उन्हें थोड़ा और संयम रखना चाहिए। राहुल गांधी के प्रति सहानुभूति जताते हुए तन्खा ने कहा कि मैंने उन्हें अपनी राज्यसभा सीट आफर की है क्योंकि राहुल जैसे लीडर का सदन के अंदर रहना अति आवश्यक है।
भाजपा ने हर सिस्टम स्तर को कमजोर किया
भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए तन्खा ने कहा कि भाजपा ने संविधान के विपरीत जाकर न्यायपालिक,कार्यपालिका से लेकर मीडिया तक को कमजोर किया है। भाजपा न सच बोलती है न सच सुनना चाहती है। राहुल गांधी ने क्या गलत बोला था लेकिन उन्हें ऐसे कमजोर केस में भी दो साल की सजा करवा दी जिसमें लोगों को दो माह की भी नहीं होती। हर स्तर पर दखल है उनका। आज अधिकारी भाजपा के कार्यकर्ता की तरह कार्य कर रहे हैं, कांग्रेस की सरकार आने पर इनसे मूल काम में लगाया जाएगा।
प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर लेकिन कांग्रेस भी ठीक स्थिति में नहीं
तन्खा ने कहा कि प्रदेश में पिछले 17 सालों की सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी फैक्टर है लेकिन यदि यह कहूं कि कांग्रेस बहुत अच्छी स्थिति में है यह भी सही नहीं। हमें बहुत मेहनत करनी होगी। ग्वालियर चंबल ,विंध्य में सहित हर अंचल में हम रणनीति से उतरेंगे।
मंत्रियों की भीड़ फिर भी चंबल में विकास क्यों नहीं
तन्खा ने कहा कि ग्वालियर चंबल में यदि पत्थर भी फेंको तो किसी मंत्री या मनोनीत मंत्री को लगेगा लेकिन विकास की स्थिति क्या है यह किसी से छिपा नहीं है। मैं मानता हूं जबलपुर में विकास नहीं है क्योंकि वहां से राजनीति में कोई बड़ा रिप्रेजेंटेशन ही नहीं लेकिन पूरा विकास इंदौर और भोपाल में ही क्यों जबकि सरकार की चाबी चंबल के पास है यहां के मंत्रियों को यह विचार करना होगा।
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