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इस साल 45 लाख ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को मिलेगा रोजगार, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन पर काम शुरू

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश में 2.83 लाख नए महिला स्वयं सहायता समूह बनाए जाएंगे। प्रत्येक परिवार की महिला को औसतन मासिक सात से आठ हजार रुपये की आय अर्जित कराने का लक्ष्य है।

प्रदेश में 45 लाख ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को इस साल दिसंबर तक रोजगार और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश में 2.83 लाख नए महिला स्वयं सहायता समूह बनाए जाएंगे। प्रत्येक परिवार की महिला को औसतन मासिक सात से आठ हजार रुपये की आय अर्जित कराने का लक्ष्य है।

प्रदेश में मिशन के तहत 6.93 लाख महिला स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। प्रत्येक समूह में 11 महिला सदस्य होत हैं। प्रदेश में कुल 72 लाख महिलाएं समूहों से जुड़ी हैं। सरकार ने वर्तमान वर्ष में 2.83 लाख नए समूह गठित करने और 45 लाख परिवारों को रोजगार और स्वरोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य दिया है। 31.13 लाख महिलाओं को नए समूहों से जोड़ा जाएगा। शेष 13.87 लाख परिवारों को पहले से संचालित समूहों में जोड़ा जाएगा।

भाजपा के संकल्प पत्र में एक परिवार के एक सदस्य को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का संकल्प लिया गया है। मिशन के अधिकारी ने बताया कि इसी संकल्प को पूरा करने की दिशा में पहले चरण में 45 लाख परिवारों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य शुरू किया गया है। दिसंबर 2023 तक इस लक्ष्य को पूरा करना है। इस साल के अंत तक समूहों से कुल 1.17 करोड़ महिलाएं जुड़ जाएंगी।

इनका कहना है

इस साल 45 लाख परिवारों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है। मिशन ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
-सी. इंदुमति, निदेशक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन

ये हैं समूह की बड़ी उपलब्धियां

58 हजार बैंकिंग सखी बनाई गई हैं। बीसी सखी ग्रामीणों को घर पर ही बैंकिंग सुविधा मुहैया करा रही है
विद्युत सखी ने 400 करोड़ रुपये का बकाया बिल वसूल कर दिया है। 3.84 करोड़ रुपये कमीशन महिलाओं को मिला हैं
55,357 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय एचएचजी की महिला संचालित कर रही है। छह हजार रुपये मानदेय मिलता है
आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत गांवों में परिवहन सुविधा मुहैया कराने के लिए 453 एक्सप्रेस वाहन संचालित किए जा रहे हैं
बाल विकास एवं पुष्टाहार के लिए टेक होम राशन प्लांट संचालित कर रही है। 204 में से 164 प्लांट स्थापित कर लिए हैं। सूखे राशन का वितरण किया जा रहा है
फार्मर प्रोड्यूर आर्गेनाइजेशन में जोड़ रहे हैं, 28 कंपनी बन चुकी है
बुंदेलखंड की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी प्रतिदिन दो लाख लीटर दूध की आपूर्ति कर रही है
ऐसे मिलती है सहायता
महिला स्वयं सहायता समूह गठित करने के बाद समूह को 2500 रुपये स्टार्टअप फंड दिया जाता है। समूह गठित होने के तीन महीने बाद 15 हजार रुपये रिवाल्विंग फंड दिया जाता है। छह महीने बाद एख लाख रुपये सामुदायिक निवेश निधि दी जाती है ताकि समूह अपना कामकाज शुरू कर सके। समूहों को उनके उत्पाद के उत्पादन के लिए बैंक से ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है।

 

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