देवेन्द्र तिवारी सांची रायसेन
कहने को तो मप्र सरकार लगातार लाडली लक्ष्मी योजना को लेकर विभिन्न योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने कमर कसकर हरसंभव लाभ पहुंचाने की कवायद में जुटी हुई है परन्तु इन दिनों महिला बाल विकास विभाग के हाल बेहाल बन कर रह गए हैं जिससे शासन की योजनाओं पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है । भगवान भरोसे चल रहा विभाग इस ओर से प्रशासन बेखबर बना हुआ है।
जानकारी के अनुसार नगर सहित विकास खंड में लगभग तीन सौ आंगनबाड़ी का बोझ उठाने वाली सांची महिला बाल विकास विभाग इन दिनों भगवान भरोसे हाल बेहाल दौर से गुजरने मजबूर हैं परियोजना अधिकारी सहित कार्यालय में सन्नाटा पसरा दिखाई देता है यहां पर मात्र एक कर्मचारी सहायक वन ग्रेड जो लंबी बीमारी के चलते हाल ही में स्वस्थ होकर लौट आए हैं तथा यहां पदस्थ परियोजना अधिकारी योगेन्द्र राज को महिला बाल विकास विभाग का जिला अधिकारी पदस्थ किया गया है जबकि उनके स्थान पर परियोजना अधिकारी के रूप में सुपर वाइजर अंजु कोर्ते को पदस्थ किया गया है इस कार्यालय में लंबे अरसे से कर्मचारियों का अभाव बना हुआ है कार्यालय में सन्नाटा पसरा दिखाई देता है तथा इस कार्यालय में दो कम्प्यूटर आपरेटर रखे गए हैं परन्तु इन आपरेटरो को वेतन के रूप में मात्र नौ हजार रुपए दिए जाते हैं हद तो तब हो जाती है जब यह वेतन भुगतान भी 6-6 महीने नहीं हो पाता जिससे इन आपरेटरो को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है । हालात तब और बद से बद्तर हो जाते हैं जब आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों को घटिया भोजन परोसा जाता है परन्तु इन्हें देखने परखने की किसी को फुर्सत नहीं मिल पाती जिससे नौनिहाल घटिया भोजन पाकर ही संतुष्ट रह जाते हैं जबकि महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार आंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरित होने वाले भोजन को गुणवत्तापूर्ण बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं ऐसा ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर घटिया गुणवत्ता वाला भोजन की कल ई तब खुली थी जब स्वतंत्रता दिवस पर वार्ड नं 1 वह 14 की आंगनबाडियों का निरीक्षण वार्ड पार्षदों ने किया था तब घटिया भोजन में चींटियां तक तैरती नजर आ रही थी तब पार्षदों ने तहसीलदार को सूचना दी थी तब तहसीलदार ने पटवारी को भेजकर जांच करवाई थी तब पटवारी ने भी अपने प्रतिवेदन में घटिया भोजन वितरण करना पाकर तहसीलदार को सौंपा था परन्तु मामला दबकर रह गया था तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब परियोजना कार्यालय के नाक के नीचे ही केंद्रों पर वितरित किया जानें वाले भोजन का यह हाल हो तब ग्रामीण क्षेत्रों में तो न कोई देखने न कोई परखने वाला रहता है तब वितरण होने वाले भोजन का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है इतना ही नहीं इस नगर में जबसे महिला बाल विकास विभाग अस्तित्व में आया है तबसे ही यह कार्यालय किराये के भवनों में संचालित होता रहा है तथा इस कार्यालय का मासिक किराया लगभग दस हजार रुपए माहवार बताया जाता है किराये के रूप में यह कार्यालय सरकार की लाखों रुपए की राशि खर्च कर चुका है जबकि ऐसा भी नहीं है कि नगर में सरकारी भवनों की कहीं कमी दिखाई देती हो जबकि इस स्थल पर सरकारी विभाग के सरकारी दर्जनों भवनों पर अतिक्रमण कारी काबिज हो कर वर्षों से मजे मार रहे हैं तथा अनेक सरकारी भवनों ने खंडहरों का रूप ले लिया है तथा जनपद पंचायत अंतर्गत अनेक भवन रिक्त रहकर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने मजबूर होना पड़ रहा है बावजूद इसके महिला बाल विकास विभाग कार्यालय हेतु भवन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिससे सरकार की किराये के रूप में व्यर्थ होने वाली राशि को बचाया जा सके । बावजूद इसके महिला बाल विकास विभाग कार्यालय भगवान भरोसे तथा बदहाली दौर से गुजर रहा है इस कार्यालय में गंदगी का साम्राज्य दिखाई देता है यहां स्थित शौचालय गंदगी से भरे पड़े हैं जब इस मामले में कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों से जानना चाहा तो बताया गया कि सफाई कर्मचारियों को वेतन ही नहीं भुगतना हो पाता है तब सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई रहती है । बहरहाल यह कार्यालय भगवान भरोसे चलने पर मजबूर हो चुका है न ही यहां पदस्थ अधिकारियों को ही कार्यालय का ढर्रा सुधारने की सुध ही आ सकी है ।