चैनपुर रायसेन। महारानी दुर्गावती को जयंती जन्म जयंती पर स्मरण किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर रानी दुर्गावती जी के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर कुमकुम पुष्प तिलक लगाकर किया गया कार्यक्रम मैं पप्पू ठाकुर ने वीरांगना महारानी दुर्गावती जी जीवन परिचय इतिहास के बारे में बताया इस महान वीरांगना यानी रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 में हुआ था भारतीय इतिहास की अद्वितीय वीरांगना ,कुशल प्रशासक दलपतिशाह की पत्नी बलिदानी वीरांगना रानी दुर्गावती जी की जन्मजयंती पर कोटि कोटि नमन रानी दुर्गावतीजी जन्म: 5 अक्टूबर 1524 गोंडवाना की शासक थीं, जो भारतीय इतिहास की सर्वाधिक प्रसिद्ध रानियों में गिनी जाती हैं। शक्ति-पुंज माँ भवानी स्वरुप रानी दुर्गावती की जयंती ग्राम चैनपुर मे उन्हें नमन किया गया महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं. महोबा के राठ गांव में 1524 ई0 की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नामदुर्गावती रखा गया. नाम के अनुरूप ही तेज साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से रानी दुर्गावती का शौर्य किसी भी प्रकार से कम नहीं रहा है, दुर्गावती के वीरतापूर्ण चरित्र को लम्बे समय तक इसलिए दबाये रखा कि उसने मुस्लिम शासकों के विरूद्ध संघर्ष किया और उन्हें अनेकों बार पराजित किया। देर से ही सही मगर आज वे तथ्य सम्पूर्ण विश्व के सामने हैं कि तथाकथित अकबर महान ने अपनी कामुक लिप्सा के लिए एक विधवा पर किसी तरह के जुल्मों की कसर नहीं छोडी थी दुर्गावती ने 16 वर्ष तक जिस कुशलता से राज संभाला, उसकी प्रशस्ति इतिहासकारों ने की। आइना-ए-अकबरी में अबुल फ़ज़ल ने लिखा है, दुर्गावती जी के शासनकाल में गोंडवाना इतना सुव्यवस्थित और समृद्ध था कि प्रजा लगान की अदायगी स्वर्णमुद्राओं और हाथियों से करती थीं। धन्य है रानी का पराक्रम जिसने अपने मान सम्मान, धर्म की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अनेकों बार शत्रुओं को पराजित करते हुए बलिदान दे दिया थामुगलों की बड़ी सेना देख जब रानी दुर्गावती के मंत्री ने उनसे युद्ध न करने को कहा तो रानी दुर्गावती ने कहा कलंकित जीवन जीने की अपेक्षा शान से मर जाना अच्छा है आज मुग़ल शासको को पराजित करने वाली महान वीरांगना दुर्गावती जी के जयंती पर ग्राम चैनपुर के ग्रामीणों ने किया याद इस मौके पर पप्पू ठाकुर सुखदेव सरपंच सुखराम कमलेश पटेल राजू राकेश ककोडिया मंसाराम पटेल देवेंद्र सिंह गिलान सिंह दादा हरिगोविंद सिंह रामगोपाल पप्पू कुसरा सहित ग्रामीणों जन उपस्थित रहे