राजीव जैन औबेदुल्लागंज रायसेन
जिन शासन में विनय को धर्म कहा है इसी विनय से जीव संसार रूपी समुद्र से उत्तीर्ण होता है विनय का पालन कर ही मुनियों ने तीर्थंकरों ने अपने जीवन में मुक्तिपथ को प्राप्त किया है अतः उत्तम मार्दव धर्म के दिन अपने जीवन में अहंकार का त्याग करके मार्दव धर्म को जीवन में अंगिका करो यही मार्दव धर्म है उक्त बात पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन मार्दव धर्म के ऊपर बोलते हुए चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभाव शिष्य ब्रह्मचारी मनोज भैया सोनीपत ने महावीर मार्ग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में अपने प्रवचनों के दौरान कही ।
इस अवसर पर बोलते हुए ब्रह्मचारी मनोज भैया ने बताया कि क्षमा धर्म के उपरांत मन की स्थिति अत्यंत पवित्र और शांत हो जाती है इसका पहला संकेत उसके व्यवहार में दिखाई देता है गलती से भी हमें विनय को छोड़ना नहीं चाहिए । पूर्ण रूप से प्रयत्न करें कि हम विनय का पालन करते रहें क्योंकि अज्ञानी भी विनय से कर्मों का नाश कर लेता है।
इस के पूर्व सुबह की बेला में आज शान्ति धारा करने का शौभाग्य मनोज जैन अमोदा ,सुनील संजय वर्धमान परिवार को मिला।साथ ही भैया जी के द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र के दूसरे अध्याय को अर्थ सहित समझाया।