थाईलैंड में “बुद्धभूमि भारत-बुद्ध के पद चिन्हों पर यात्रा” कार्यक्रम का शुभारंभ
थाईलैंड में रामायण का गहरा सांस्कृतिक प्रभाव है। यहाँ रामकियन के नाम से जाने जानी वाली रामायण एक राष्ट्रीय महाकाव्य है। साथ ही बुद्ध धर्म यहां का प्रमुख धर्म है। इस तरह बुद्ध धर्म और रामायण के मूल्यों को आत्मसात करे हुए दोनो देशों वैश्विक शांति, मानवतावाद और बंधुत्व के सिद्धांत का पालन करते है। संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर बैंकॉक के एमक्वार्टियर शॉपिंग सेंटर में “बुद्धभूमि भारत-बुद्ध के पद चिन्हों पर यात्रा” कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। थाई-भारत राजनयिक संबंधों की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह तीन दिवसीय आयोजन किया गया है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि आध्यात्म और संस्कृति प्रेमी थाईलैंड के पर्यटकों के लिए मध्यप्रदेश एक विशेष पर्यटन स्थल है। अतुल्य भारत का हृदय “मध्यप्रदेश” धार्मिक, आध्यात्मिक, पुरातत्व और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। भारत की सबसे पुरातन और पावन नदियों में से एक, मां नर्मदा नदी, मध्यप्रदेश के अमरकंटक से प्रवाहित होती है। राज्य में दो प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर भी हैं।
मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में बौद्ध धर्म की पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहरे थाईलैंड के पर्यटकों के लिए अमूल्य हैं। सांची के स्तूप, विदिशा, ग्यारसपुर, उदयगिरि, सतधारा सुनारी और अंधेर, मुरेलखुर्द जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध पर्यटन स्थलों पर आकर सभी पर्यटक आनंद की अनुभूति करेंगे। मंत्री सुश्री ठाकुर ने थाईलैंड के पर्यटकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि आप सभी मध्यप्रदेश आए और बुद्ध धर्म के पुरातन स्थापत्य और संस्कृति का आध्यात्मिक आनंद ले। साथ ही भगवान बुद्ध के उपदेशों और शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करें।
थाईलैंड की संस्कृति मंत्री श्री इथिपोल कुनप्लोम ने कहा कि थाईलैंड में अधिकांश आबादी बौद्ध है, इसलिए थाई लोग अपने जीवनकाल में एक बार विशेष रूप से भारत की यात्रा करना चाहते हैं। विश्व धरोहर सांची, बोधगया, कुशीनगर और भारत के कई अन्य स्थान बुद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र है। न केवल बौद्ध धर्म और धार्मिक पर्यटन के लिए बल्कि भारत सांस्कृतिक विरासत के मामले में भी समृद्ध है। हमने भारत से बहुत कुछ सीखा है।
“बुद्धभूमि” कार्यक्रम त्रिरत्नभूमि सोसाइटी, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़िगरेशन, इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चर रिलेशन और भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित किया गया है। थाईलैंड में भारतीय राजदूत श्रीमती सुचित्रा दुरई, अतिरिक्त प्रबंध निदेशक मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड श्री विवेक क्षेत्रीय, वाइस चांसलर सांची विश्वविद्यालय श्रीमती नीरजा गुप्ता कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
आयोजन स्थल पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कनफेडरेशन और भारतीय दूतावास के स्टाल लगाए गए हैं। मध्यप्रदेश के स्टाल पर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और बौद्ध धर्म की विरासतों को प्रदर्शित किया जा रहा है। इसमें सांची और अन्य बौद्ध स्थलों के इतिहास और महत्व को दर्शाया गया है। साथ ही कार्यक्रम में अजंता पेंटिंग, सूत्र कला कृति, हिमालय के मठों को दर्शाती हुई प्रदर्शनी लगाई गई है। ‘इंडो थाई कल्चरल हिस्ट्री’ विषय पर सांस्कृतिक वार्ता और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गए। जिसमे थाईलैंड और भारत के कलाकारों ने नृत्य प्रदर्शन के माध्यम से अपने-अपने देशों की पारंपरिक संस्कृतियों को दर्शाया।