भोपाल।ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में गुरू की भूमिका अहम होती है,गुरू और शिष्य का सबसे पवित्र सम्बंध होता है,गुरू-शिष्य परम्परा का निर्वहन आज की आवश्यकता है।उक्त विचार सेवानिवृत गुरूओं ने बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भेल मे गुरुपूर्णिमा अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में व्यक्त किए
भेल कालेज में गुरू पूर्णिमा अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में उच्च शिक्षा के सेवानिवृत अतिरिक्त संचालक डा.व्ही एस सिंह,डा यू.सी. जैन,डा एच. के .तिवारी, सेवानिवृत प्राचार्य डा इंदू प्रभा तिवारी,डा नवनीत श्रीवास्तव एवं शिक्षाविद् सेवानिवृत डीजीएम एस बी आई श्री गोपाल राठोर,सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री शोभा पाण्डे को जनभागीदारी अध्यक्ष श्री बारेलाल अहिरवार एवं प्राचार्य डा संजय जैन ने शाल,श्रीफल एवं तिलक लगा कर सम्मानित किया .इस अवसर पर छात्र -छात्राओं ने भी उपस्थित सभी शिक्षकों का तिलक और पुष्पगुच्छ से स्वागत व सम्मान किया.गुरू पूर्णिमा का महत्व,गुरू-शिष्य परम्परा, शिक्षा में नैतिकता और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा की भूमिका बतलाते हुए डा व्ही एस सिंह ने कहा कि ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में गुरू की भूमिका अहम होती है,निष्ठा, प्रतिबद्धता और शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्व की भावना गुरू को महान बनाती है,डा यूसीजैन ने कहा कि गुरू-शिष्य परम्परा का निर्वहन आज के युग की आवश्यकता है,डा एच के तिवारी ने बताया कि वर्तमान में उच्च तकनीकी साधनो के उपलब्ध होने पर भी गुरू का
महत्व और अधिक बढ़ा है .डा इंदूप्रभा तिवारी ने शिक्षा में नैतिकता की आवश्यकता को समझाते हुए गुरू को संरक्षक,संवाहक,और प्रदाता की उपमा दी.कार्यक्रम के प्रारंभ मे अपने स्वागत उदबोधन में प्राचार्य ने सभी आमंत्रितो का पधारने पर आभार माना तथा उनके द्वारा इस संस्था के लिए किए उल्लेखनीय कार्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की .एवं बी ए तृतीय वर्ष की छात्रा श्रिया विश्वकर्मा ने गुरू शिष्य अंतर्संबंध को उद्घाटित करती हुई एक स्वरचित कविता प्रस्तुत की .डा शीला कुमार के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन डा समता जैन ने तथा आभार डा अनुपमा यादव ने व्यक्त किया .समारोह में महाविद्यालय का स्टाफ एवं छात्र -छात्राओं ने उत्साह से सहभागिता की.