– महिला बच्चों को गंदगी की लग गई लत
देवेन्द्र तिवारी सांची रायसेन
वैसे तो गरीबों को लाभान्वित करने तथा गरीबी दूर करने केंद्र अथवा राज्य सरकारें असंख्य जनकल्याण कारी योजना लागू कर रही है परंतु यह योजना जमीनीस्तर पर उतरने के पहले दम तोड़ रही हैं अथवा गंदगी से रोटी ढूंढने की लत लग चुकी है ।
जानकारी के अनुसार सरकारे अनेकों जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रही है जिससे गरीबों को इन योजनाओं का लाभ मिल सके तथा गरीब अपने पेट के लिये सम्मानजनक रूप से रोटी की जुगत भिडा सकें ।परन्तु या तो सरकारी योजनाओं से यह गरीब वंचित रह जाते हैं अथवा इन तक सरकारी योजना पंहुचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं जिस कारण महिलाओं एवं स्कूल जाने की उम्र मे छोटे बडे बच्चे बच्चियां महिलाओं के साथ गंदगी भरे पहनावे के बीच गंदगी मे घुसकर अपने पेट की आग बुझाने की जुगत भिडाते दिखाई दे जाते हैं जबकि महिलाओं के उत्थान के लिए तथा उनको सशक्त समृद्ध बनाने के लिये मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने लाडली बहना जैसी लोकप्रिय योजना लागू की थी जो लगातार जारी है तथा महिलाओं के खाते मे लगातार सरकार राशियां डाल रही है ।परंतु यह महिलाओं को या तो लाभ नहीं मिल सका अथवा गन महिलाओं ने प्रयास ही नही किए जिससे इस योजना का लाभ वह उठा सकें तथा सम्मान जनक रूप से अपने पेट पूजा कर सकें ।दूसरी ओर इनके साथ नाबालिग बच्चे जिनकी उम्र स्कूलों मे पढने लिखने खेलने कूदने की रहती है वह भी अपने व अपने परिवार के पेड़ की आग बुझाने गंदगी भरे कूड़े कचरों से रोटी ढूंढते नजर आते हैं इससे सरकारी योजनाओं को तो पलीता लगता ही है बल्कि देश विदेश मे देश की छवि पर भी प्रतिकुल प्रभाव पडता हैं हालांकि अनेक सामाजिक संगठनों को विभिन्न योजनाओं का प्रचारप्रसार करते देखा जा सकता है परंतु इनकी ओर उन संगठनों की भी नजर नहीं पहुंच पाती जबकि सरकार बडे स्तर पर बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने स्कूल चले अभियान चलाते दिखाई पडती है बावजूद इसके इन बच्चों को स्कूलों तक पहुचाने कहीं न कहीं प्रशासन सफल नही हो पाता जिससे यह बच्चों एवं महिलाएं कंधों पर बोरिया टांगें कचरे कूड़े मे रोटी तलाशती आसानी से दिख जाती हैं ।