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पीला ही नहीं…काला, बैंगनी और नीला, जानें कितनी तरह का होता है मक्का, होती है इतनी कमाई

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भारत में जब आम आदमी मोटे अनाज अपने दैनिक जीवन में खाता था, तो मक्का-ज्वार-बाजरा जैसे अनाज ही उसके भोजन का हिस्सा थे. फिर दौर बदला और लोग ज्यादा से ज्यादा गेहूं खाने लगे. अब वक्त ने फिर करवट ली है और स्वास्थ्य लाभों के चलते गरीब की थाली का ये भोजन अब अमीरों की डायनिंग टेबल पर ‘मिलेट्स’ के तौर पर दस्तक दे चुका है. इसमें मक्का का अपना एक अलग मुकाम है और आपको जानकर हैरानी होगी कि मक्का सिर्फ पीले रंग की नहीं, बल्कि काले, हरे, नीले, लाल और यहां तक की बैंगनी कलर की भी होती है.

दुनिया में मक्का की एक या दो नहीं बल्कि 300 किस्म पाई जाती हैं. सबसे कॉमन डेंट कॉर्न या ग्रेन कॉर्न होती है. इसका मुख्य इस्तेमाल आटा बनाने में होता है. वहीं इसके अलावा पॉप कॉर्न के लिए अलग किस्म विकसित की गई है, स्वीट कॉर्न के लिए एक अलग वैरायटी बनाई गई है और बाकी कई अलग-अलग रंग की कॉर्न भी मिलती हैं. चलिए जानते हैं कॉर्न की खेती और उससे जुड़े बिजनेस के बारे में…

कम पानी में भी होती है मक्का की खेती

मक्का को आजकल सिर्फ आटे के लिए नहीं उगाया जाता है. बल्कि एक सब्जी और ब्रेकफास्ट के तौर पर खाने के लिए भी इसकी कई वैरायटी जैसे कि बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती भी की जाती है. अगर हम मक्का की खेती के बारे में बात करें, तो इसकी लागत काफी कम है. इसकी फसल की देखभाल भी अन्य के मुकाबले कम करनी पड़ती है जबकि ये पैदावार बहुत बढ़िया देता है.

मक्के की खेती को दोमट और बलुई मिट्टी में आराम से किया जा सकता है. इसकी खेती में पानी की खपत चना, गेहूं इत्यादि के मुकाबले काफी कम होती है. वहीं ये फसल 60 से 80 दिन में तैयार हो जाती है. जबकि काली, नीली, बैंगनी और अन्य रंग की मक्का को तैयार होने में 90 दिन तक वक्त लग सकता है.

पैदावार का मिलता है अच्छा दाम

अगर आप सामान्य मक्का के दाम को ही देखें तो एक पौधे में दो भुट्टा निकलते हैं. एक भुट्टे की थोक बाजार में कीमत 5 से 7 रुपए तक आती है. एक बीघा जमीन पर मक्का के करीब 25,000 पौधे तक लग जाते हैं. इस तरह मोटा-मोटी 50,000 भुट्टे करीब 2.5 से 3 लाख रुपए के बिक जाते हैं.

अब अगर यही मक्का के अनाज को आप अलग करके बेचते हैं तो मंडी में इसका दाम 2,000 से 2,200 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है. जबकि भुट्टे की खोई और डंठल का उपयोग कागज फैक्टरी में खूब होता है. फसल का बचा हिस्सा चारा और खाद कंपनियां ले जाती है. जबकि भुट्टे के पत्तों का उपयोग दोना-पत्तल जैसे डिस्पोजल बनाने में होता है. यानी मक्का हर तरह से कमा कर देता है.

काली मक्का का भुट्टा 200 रुपए तक

अब अगर हम पीली के अलावा अन्य रंगों की मक्का की बात करें, तो काली मक्का के भुट्टे की कीमत रिटेल मार्केट में (मॉल से लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म) 200 रुपए प्रति नग तक जाती है. जबकि इसका 8 किलो बीज करीब 25 क्विंवटल की पैदावार देता है. इस तरह ये भुट्टा हर तरह से फायदे का सौदा है. भारत की जलवायु में आराम से पनप जाता है.

कुरकुरे से लेकर नाचोस तक मक्का ही मक्का

मक्का के कुछ इस्तेमाल तो हम आपको ऊपर बता चुके हैं. लेकिन अब इसके इंडस्ट्रियल यूज बढ़ते जा रहे हैं. जैसे स्नैक इंडस्ट्री में इसने बेसन और आलू के अल्टरनेटिव की जगह ले ली है. आपके कुरकुरे से लेकर नाचोस को बनाने तक में मक्का का इस्तेमाल होता है. मूवी थिएटर में बैठकर पॉपकॉर्न भला कौन नहीं खाता है.

वहीं फ्रोजन फूड इंडस्ट्री से लेकर रेस्टोरेंट बिजनेस तक में कॉर्न स्टार्च और कॉर्न फ्लोर ( मक्के की मैदा) का इस्तेमाल होता है. कॉर्न फ्लोर का उपयोग बेकरी इंडस्ट्री भी खूब करती है. जबकि कॉर्न स्टार्च का एक और इस्तेमाल पॉलीथीन का अल्टरनेटिव बनाने में होने लगा है. कुल मिलाकर आने वाले समय में मक्का की मांग बरकरार रहने वाली है.

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