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nagar parisad bareli

बेटा, मुझसे गलती हो गई…प्लीज बचा लो, किसी को मत बताना…

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70 वर्षीय हामिद अली (बदला हुआ नाम) शायरी के बड़े शौकीन रहे, उनको अपनी शायरी सोशल मीडिया पर पोस्ट करना और लोगों की वाह-वाही सुनना बेहद पसंद था. मगर क्या मालूम था कि अपने इसी शौक के चक्कर में वो ऑनलाइन ठगों के जाल में फंस जाएंगे. दरअसल हुआ यूं कि फेसबुक पर उनकी शायरी पढ़कर एक महिला उनकी तारीफ करने लगी, उसने तारीफों के ऐसे पुल बांधे कि दोनों में गहरी दोस्ती हो गई और फिर ये बातचीत दोस्ती से कहीं आगे निकल गई. दोनों वीडियो कॉल पर बात करने लगे और फिर शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का खेल. वीडियो में महिला ने हामिद के साथ अश्लील बातें और अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दीं, फिर एक दिन इसका फायदा उठाते हुए महिला ने हामिद का अश्लील वीडियो बना डाला.

पहले तो ये वीडियो दिखाकर उसने इसे सोशल मीडिया पर शेयर करने की धमकी देकर बुजुर्ग से पैसे ऐंठने की कोशिश की. जब उन्होंने पैसे देने से मना किया तो उनकी इस वीडियो को यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने अपने किसी हमदर्द को इसके बारे में बताया तो यू-ट्यूब पर शिकायत करके इस वीडियो को हटाया गया. यह कोई इकलौता ऐसा मामला नहीं है जिसमें हमारी सोसाइटी का कोई बुजुर्ग फंसा या फंसाया गया हो बल्कि ऐसे कई मामले हैं जो ऑनलाइन ठगी के रैकेट की दास्तान बताते हैं.

फ्रॉड लिंक से ठगी

कुछ दिन पहले दिल्ली के पीतमपुरा में रहने वाले 67 वर्षीय आर पी भूटानी के साथ भी धोखाधड़ी हुई. उन्होंने अपनी फर्नीचर की दुकान से पेटीएम मशीन हटवाने के लिए पेटीएम को संपर्क साधना चाहा, जिसके लिए उन्होंने गूगल पर लिखे किसी नंबर पर फोन किया. उस नंबर पर दूसरी तरफ से बात करने वाले शख्स ने पहले खुद को पेटीएम कंपनी का अधिकारी बताया फिर उस मशीन को हटाने के लिए व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा जैसे ही भूटानी जी ने लिंक पर क्लिक किया, स्क्रीन शेयरिंग के जरिए उनका फोन हैक कर लिया गया. कुछ ही देर में उनके अकाउंट से 1 लाख रुपये निकाल लिए गए. इस मामले की शिकायत उन्होंने साइबर सेल की हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके करवाई, इसके बाद उन्होंने साइबर थाने जाकर भी इसकी लिखित शिकायत दी, लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ खास कार्रवाई नहीं हो पाई है और न ही कोई ठग पुलिस के हाथ लगा है.

कार्ड क्लोनिंग से ठगी

द्वारका में रहने वाली 62 वर्षीय कमलेश शर्मा की किस्मत ने उनका साथ दिया और उनके बेटे की सूझबूझ से वो अपना खोया पैसा पाने में सफल रहीं. दरअसल द्वारका में रहने वाली कमलेश शर्मा ने कुछ दिन पहले एक एटीएम से कुछ पैसे निकलवाए थे. जिसके बाद वहां लगी डिवाइस से उनका कार्ड क्लोन कर लिया गया और उनके अकाउंट से 50,000 रुपये निकाल लिए गए. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस थाने में करवाई लेकिन वहां से उन्हें कोई खास रिस्पांस नहीं मिला. एक सलाहकार की मदद से उन्होंने इसकी रिपोर्ट आरबीआई के पोर्टल पर जाकर की जिसके महीने भर बाद ही उन्हें उनकी डूबी हुई रकम मिल गई. लेकिन कमलेश शर्मा उन चंद किस्मतवालों में से थीं जिनको उनका डूबा हुआ पैसा मिल गया.

बुजुर्गों की पाई-पाई पर ठगों की पैनी नजर

इन मामलों से यह साफ हो जाता है कि कैसे बुजुर्गों को इस ऑनलाइन ठगी के जाल में फंसाकर मोटी रकम लूट ली जाती है. पूरी उम्र पाई-पाई करके जुटाई गई उनकी इस रकम पर कोई ठग हाथ साफ कर जाता है. हमारे घरों के बुजुर्ग पूरी उम्र दो कमीजों में बिता देते हैं ताकि बुढ़ापे के लिए कुछ रकम जुटा सकें लेकिन ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों के लिए ये बुजुर्ग इन दिनों तुरुप का इक्का बन गए हैं. बुजुर्गों को ऑनलाइन झांसे में फंसाना सबसे आसान काम होता है. रिटायरमेंट और इंश्योरेंस से मिली रकम से लेकर बैंक में पड़ी इनकी पेंशन पर ठगों की पैनी नजर होती है, जिस पर ये हाथ साफ करते हैं. वैसे तो ऑनलाइन ठगी किसी के भी साथ हो सकती है लेकिन बुजुर्ग इसमें सबसे कमजोर कड़ी होते हैं. इन्हें फंसाने के लिए ठगों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती. आम तौर पर बुजुर्गों को टेक्नोलॉजी की बेहद कम जानकारी होना सबसे बड़ी कमजोरी होती है जिसकी वजह से जालसाजों का काम आसान हो जाता है. ऐसे और भी बहुत से मामले हैं जिनमें बुजुर्ग ठगी का शिकार होते हैं.

बुजुर्ग ही क्यों हैं निशाने पर

साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा बताती हैं कि बुजुर्गों को ठगना ठगों के लिए बेहद आसान होता है क्योंकि वो ज्यादा टेक्नोलॉजी को नहीं समझते हैं. ऐसे में उनको अपनी बातों में फंसा लेना और उनका विश्वास जीतना आसान हो जाता है, जिसके बाद ठग जैसा बोलते जाते हैं, बुजुर्ग वैसा करते जाते हैं.

टेक्नोलॉजी बनी सिरदर्द

साइबर एक्सपर्ट दिव्या तंवर कहती हैं कि हमारे बुजुर्ग केवाईसी, ओटीपी जैसी चीजों को नहीं जानते. ऐसे में जब ठग बैंक अधिकारी बनकर फोन करते हैं तो ये आसानी से उनपर यकीन कर लेते हैं. उनको केवाईसी और आधार कार्ड लिंक करने के चक्कर में अपनी सारी जानकारी दे देते हैं. ये साइबर जालसाज बेहद शातिर होते हैं, हर काम की ऐसी जल्दबाजी पैदा कर देते हैं कि हमारे बुजुर्ग किसी से कोई बात पूछकर जांच पड़ताल भी न कर पाएं और तुरंत किसी काम को करने के लिए इन्हें सारी जानकारी मुहैया करा दें.

AI का हो रहा इस्तेमाल

कामाक्षी बताती हैं कि आज एडवांस होती टेक्नोलॉजी में AI का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. इसका इस्तेमाल करके आप किसी की भी आवाज और शक्लो-सूरत की क्लोनिंग कर सकते हैं जिसका फायदा ये ठग लोग उठा रहे हैं. ये सोशल मीडिया से जानकारी जुटाकर आपके किसी जान-पहचान के शख्स की शक्ल और आवाज की क्लोनिंग कर वीडियो कॉल के जरिए पैसे मांगते हैं जिससे बुजुर्ग मदद की एवज में इन ठगों को पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. बेंगलुरू में ऐसा मामला देखा गया जिसमें बुजुर्ग को उनके किसी पुराने साथी की आवाज बनाकर कॉल के जरिए पैसे की ठगी की गई.

सोशल मीडिया बना जी का जंजाल

बुजुर्ग सोशल मीडिया पर रहना तो पसंद करते हैं लेकिन उसको सही से इस्तेमाल करने का तरीका नहीं जानते. उनको इस उम्र में लोगों के साथ फोटोज़ शेयर करना, बातें करना तो पसंद आता है लेकिन वो नहीं जानते कि उनकी सोशल मीडिया पर डाली गई यही फोटोज़ हैकर्स इन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर बुजुर्ग एकाउंट सेटिंग्स को नहीं समझते और अपना एकाउंट प्राइवेट की जगह पब्लिक रखते हैं जिससे उनकी फोटोज़ और फैमिली से जुड़ी हर जानकारी हैकर्स आसानी से जुटा लेते हैं.

RWA सुनिश्चित करती है बुजुर्गों की सुरक्षा

दिल्ली मॉडल टाउन के RWA के प्रेसिडेंट संजय गुप्ता बताते हैं कि उनकी सोसायटी में बुजुर्गों को लेकर अक्सर ऐसी परेशानियां सामने आती हैं. RWA के मेंबर होने के नाते वो इस जिम्मेदारी को समझते भी हैं और निभाने की कोशिश भी करते हैं, ताकि उनकी सोसायटी में रहने वाले बुजुर्ग किसी भी डर और लालचवश इन ठगों के झांसे में न फंसें. संजय गुप्ता बताते हैं कि इसके लिए बीट ऑफिसर की तैनाती की जाती है जो समय-समय पर अकेले रहने वाले बुजुर्गों को शिक्षित करने का और उनकी परेशानी को हल करने का काम करते हैं. इसके अलावा दिल्ली सरकार की तरफ से भी बुजुर्गों के लिए एक हेल्पलाइन चलाई जा रही है जिसमें एक सहायक बेहद कम सर्विस चार्ज में इन बुजुर्गों के डाक्यूमेंट्स इनके घर से ही इकट्ठा करते हैं, उनकी बैंक संबंधित और अन्य सरकारी कागजातों से जुड़े मामलों में मदद करते हैं.

कम जानकारी का फायदा उठाते हैं ठग

वसुंधरा में 74 वर्षीय महिला के साथ हुआ एक ऐसा ही वाकया सामने आया है. रेलवे से रिटायर्ड इस महिला को डराकर 24 घंटे उन्हें उनके ही घर में डिजिटल अरेस्ट रखा गया, उन पर ड्रग्स और नकली पासपोर्ट भेजने का झूठा आरोप लगाया. महिला को इतना डरा दिया गया कि महिला ने बिना कहीं क्रॉस वैरिफाई किए अपनी एफडी तुड़वाकर ठगों को 5 लाख रूपये से ज्यादा की पेमेंट कर डाली. बताती हैं कि बुजुर्ग इस समय इतने ज्यादा पैनिक हो जाते हैं कि उनके सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है और उन पर इस तरह का प्रेशर बनाया जाता है कि उनका दिमाग चलना बंद हो जाता है और फिर वो वही करने लगते हैं जो ठग कहते हैं.

इसके जवाब में एसीपी, साइबर क्राइम, नोएडा, विवेक रंजन राय कहते हैं कि बुजुर्गों के साथ इस तरह की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. इसमें उनको या उनके किसी परिजन को विक्टिम बना दिया जाता है, ऐसे में बुजुर्गों को डरने की बजाय थोड़ा सजग रहने की जरूरत है. उनको ये समझना चाहिए कि पुलिस किसी भी तरह से फोन करके किसी को अरेस्ट नही करती न ही ऐसे डराती धमकाती है. इसके लिए हम पहले किसी के खिलाफ एक नोटिस जारी करते हैं. तो अगर कोई वर्दी पहने इंसान खुद को पुलिस बताकर वीडियो या फोन कॉल के जरिए किसी को डराता है या अरेस्ट करने की बात कहता है तो उस पर आंख मूंदकर विश्वास न करें, बल्कि खुद थाने में इस फोन कॉल की रिपोर्ट करवाएं.

विवेक रंजन आगे बताते हैं कि लोगों को शिक्षित करने के लिए और इस तरह की जालसाजी से बचाने के लिए पुलिस समय-समय पर साइबर जागरूकता अभियान चलाती है, जिसके तहत स्कूल और कॉलेज में बच्चों को इस फ्रॉड से बचने के तरीके बताए जाते हैं और साथ ही उन्हें अपने घर परिवार के लोगों को शिक्षित करने के लिए कहा जाता है. ताकि वो घर पर अपने बूढ़े मां-बाप और दादा-दादी को इस अपराध के प्रति जागरूक कर सकें और सोसाइटी में हम इस तरह के अपराधों को कम करने में सफल हो सकें.

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