जिला अस्पताल की एनेस्थीसिया विशेषज्ञ महिला डॉक्टर नहीं थी मौजूद,सिविल सर्जन ने इमरजेंसी में किया प्रसूता का ऑपरेशन,प्रसूता ने दो बच्चों को दिया जन्म
रायसेन। हमेशा सुर्खियों मे रहने बाले रायसेन जिला अस्पताल फिर सुर्खियों में हे।इस बार जिला अस्पताल में पदस्थ दो एनिसथीसिया की महिला चिकित्स्कों के अस्पताल में ड्यूटी समय में नदारद रहने के कारण एक प्रसूता महिला की जान पर बन आई।गनीमत यह रही कि जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल ओड ने अपनी सेवाएं देकर प्रसूता की जान बचाई।
जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया बेहोशी के डॉक्टर मौजूद नही होने से गंभीर हालत में पहुंची प्रसूता महिला का इमरजेंसी ऑपरेशन सिविल सर्जन डॉ अनिल ओढ़ और महिला रोग चिकित्सक डॉ दीपक गुप्ता ने किया जिससे महिला की जान बच गई और महिला ने दो स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। महिला को झटका आ रहे थे हालत काफी नाजुक थी जिसे भोपाल रेफर भी करना पड़ सकता था पर भोपाल पहुंचने तक काफी देर हो जाती जिसके चलते जिला अस्पताल में ही महिला का सीजर किया गया
बिलखिरिया रतनपुर की निवासी मीना को लेकर परिजन जिला अस्पताल पहुंचे थे महिला का बीपी बड़ा होने के कारण महिला को झटके आ रहे थे पर जिला अस्पताल में पदस्य (एनेस्थीसिया) की दो महिला डॉक्टर सृष्टि गुप्ता और रजनी चिडार ड्यूटी से नदारद थी जिस कारण जिला अस्पताल के महिला रोग चिकित्सक डॉक्टर दीपक गुप्ता द्वारा सीरियस कंडीशन को देखते हुए सीजर करने का निर्णय लिया उन्होंने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अनिल ओढ़ जो की एनेस्थीसिया विशेषज्ञ भी है को सूचना दी तो वह तुरंत ओटी मैं पहुंचे और महिला का ऑपरेशन किया गया महिला ने दो स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है।लेकिन महिला की हालत ज्यादा खराब होने से उसे भोपाल रेफर किया गया हे।
एनेस्थीसिया विशेषज्ञ महिला डॉक्टर जिला अस्पताल में नही रहती मौजूद,भोपाल से करती हे आना-जाना
रायसेन जिला अस्पताल में दो एनेस्थीसिया विशेषज्ञ महिला डॉक्टर सृष्टि गुप्ता और रजनी चिडार जिला अस्पताल में देरी से पहुंचती है और समय से पहले ही जिला अस्पताल से गायब हो जबकि रात के समय में तो यह महिला डॉक्टर कभी नहीं मिलती।जिसके चलते अक्सर ही डिलीवरी के समय महिलाओं का ऑपरेशन करने में काफी परेशानी होती है और कई बार तो महिलाओं की जान को खतरा हो जाता है। पहले भी ऐसे कई घटनाएं जिला अस्पताल में हो चुकी है। डिलीवरी के समय जिन महिलाओं का सीजर किया जाता है उसे समय महिलाओं के शरीर के कुछ हिस्से को शून्य करने का इंजेक्शन लगायाअ@ जाता है जिससे महिलाओं के सीजर करने में महिला चिकित्सा को आसानी होती है पर एनेस्थीसिया विशेषज्ञ दोनों ही डॉक्टर जिला अस्पताल में मौजूद नहीं रहने से सीजर करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।