विनोद साहू बाड़ी रायसेन
सिंघौरी अभ्यारण का बियाबान जंगल रक्षक भक्षक की मिलीभगत से बैसे भी रेगिस्तान में तब्दील हो गया लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी वन विभाग को मिलने वाला फंड हड़पने में ही जुटे रहते नतीजतन जंगल कटाई के बाद बारना कालोनी से डेम जानी बाली व्यस्ततम सड़क किनारे लगे लगे पेड़ मशीन से काटे जा रहे और वीट रक्षक आराम से सो रहे हैं।
अचानक रात्रि सवा बारह बजे गुल हुई बिजली
बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी दिन-रात अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभा रहे है नतीजतन इस भीषण गर्मी में भी आम जन रात्रि के समय सुकून से सो रहे हैं। जब बिजली गुल हुई तो विभाग के कर्मचारियों ने पुनः लाइन चालू की लेकिन बह ट्रिप मार गई दुवारा भी ट्रिप होने पर उन्होंने शहर के सभी मार्गों पर पैट्रोलिंग पर निकले एक घंटे की पैट्रोलिंग पर उन्हें बिजली के तारों पर ताजा कटा सागौन का पेड़ मशीन से कटा मिला जिसकी उन्होंने वन विभाग को सूचना दी और पेड़ हटाकर पुनः लाइन चालू की।
मुख्यालय पर ही पेड़ सुरक्षित नहीं तो जंगल की हालत क्या होगी
शहर में वन विभाग का मुख्यालय बना हुआं हैं जिसमें एसडीओ,रेंजर डिप्टी रेंजर बैठते हैं और यहीं से बह जंगल की सुरक्षा वनपालों से कराते हैं । लेकिन दिया तले बाली कहावत यहां चरितार्थ होती हैं ऑखों के सामने ही लकड़ी चोर मशीन से पेड़ काटकर ले जाते हैं और विभाग को भनक तक नहीं लगती ।
यह सागौन का खेल होता हैं अधिकारियों और कर्मचारियों के सानिध्य में
शहर के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इमारती लकड़ी से वेड,सौफासेट, डायनिंग टेबल, ड्रेसिंग टेबल के साथ ही चौखट दरवाजे व अन्य सामान बनाते हैं उसमें दस फीसदी लकड़ी वन विभाग से खरीदी होती हैं और नब्बे फीसदी इस तरह चोरी की लकड़ी का सामान बनाते हैं।
पूर्व रेंजर ने कसी थी नकेल
पूर्व रेंजर तिलक सिंह रायपुरिया ने अपने कार्यकाल में जंगल की कटाई पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले सभी लाइसेंस धारी लकड़ी कारीगरों के यहां छापामार कार्यवाही की जिससे लकड़ी चोरों के भी हौसले पस्त पड़ गये और जंगल भी सुरक्षित लगने लगा लेकिन लकड़ी चोरों के राजनीतिक तार ऊपर तक जुड़े होने से उनका तबादला हो गया और चोरों की मौज । यह चौथी बार हैं जो पेड़ लाइन पर गिरा और शहर दो घंटे अंधेरे में डूबा रहा।