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क्या सचमुच तीसरा विश्वयुद्ध होगा? पढ़ें, कहानी परमाणु बम की

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‘उस दिन सुबह के वक्त जब अचानक मेरी आंख खुली तो सामने बेतहाशा रौशनी थी, सैकड़ों कैमरों की.. लेकिन अगले ही पल मेरी आखों के सामने अंधेरा छा गया, फिर जब कुछ होश आया तो देखा मेरे चारों तरफ लाशें ही लाशें थीं. किसी का भी शरीर पूरा नहीं था, कोई टुकड़ों में था तो कोई बेजान पड़ा हुआ था. लोगों के शरीर ऐसे पिघल रहे थे जैसे कोई मोमबत्ती हो. ऐसा लग रहा था जैसे एक झटके में सब खत्म हो गया है. मेरे चेहरे से भी खून टपक रहा था, न दिमाग काम कर रहा था और न शरीर. मुझे मेरे अंकल ने मलबे के ढेर से निकाला. मेरे भाई-बहन दोस्त रिश्तेदार कोई भी नहीं बचा था.’ ये कहानी है यासुजिरो तनाका की, जो 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी में परमाणु हमले के वक्त महज़ कुछ साल के थे. उम्र छोटी थी लेकिन दर्द इतना बड़ा कि आज तक उसकी टीस बाकी है. कई दशक गुजर गए लेकिन उनका जख्म अभी तक नहीं भर पाया.

वो इतिहास की पहली घटना थी जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर एटम बम गिराए थे. इस परमाणु हमले में लाखों लोगों की जान चली गई. हिरोशिमा और नागासाकी की आने वाली कई पीढ़ियों को विरासत में कई खतरनाक बीमारियां झेलनी पड़ीं. आज फिर दुनिया के कई देशों में जंग छिड़ी है. रूस-यूक्रेन के बीच लंबे वक्त से युद्ध चल रहा है, वहीं ईरान के हमले के जवाब में इजराइल ने भी पलटवार कर दिया है. दुनिया के कई देश आपस में लड़ रहे हैं. क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है? मिडिल ईस्ट के कई देशों में चल रहा तनाव न जाने कौन-सा विनाशक मोड़ लेगा. इस युद्ध में ड्रोन और मिसाइलों का खूब इस्तेमाल हो रहा है. हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा है.

पुतिन ने दी थी परमाणु हमले की धमकी

पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि उनका देश न्यूक्लियर वॉर के लिए तैयार है. वहीं इजराइल और ईरान के बीच जो जंग चल रही है उसमें भी परमाणु हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि ईरान हमेशा से इनकार करता रहा है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन कई एक्सपर्ट बताते हैं कि ईरान के पास ऐसी तकनीक है कि वो एक हफ्ते में परमाणु बम बना सकता है.

क्या परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है?

यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस ने कुछ दिन पहले कहा था कि दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा इस दौर में सबसे ज्यादा है. इंसानियत को बचाने का एक ही रास्ता है और वो है ‘परमाणु निरस्त्रीकरण.’ इसके लिए उन सभी देशों को बिना किसी शर्त के बातचीत करने की जरूरत है जिनके पास परमाणु बम हैं. दुनिया के 90 फीसदी न्यूक्लियर बम अमेरिका और रूस के पास हैं. इसलिए ‘न्यूक्लियर डिसआर्मामेंट’ में सबसे महत्वपूर्ण योगदान इन देशों का ही है.

दुनियाभर में तनाव के बीच मंडरा रहे खतरे के बादल

रक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि 2010 के बाद दुनिया मल्टीपोलर बन गई है, जिसमें एक तरफ अमेरिका और यूरोपीय देश हैं तो दूसरी तरफ पुतिन के नेतृत्व में रूस फिर से मजबूत होकर उभरा है. चीन भी एक शक्तिशाली देश बनकर दुनिया में सुपरपावर बन गया है. आज दुनिया के सभी देश एक दूसरे से जुड़े हैं, किसी एक की भी सप्लाई चेन टूट जाए तो ग्लोबल मार्केट में समस्या आ सकती है. उदाहरण के लिए अगर ताइवान को कुछ होता है तो पूरे सेमीकंडक्टर मार्केट पर असर पड़ेगा. मिडिल ईस्ट में अब अमेरिका का उतना बोलबाला नहीं रहा जितना पहले हुआ करता था.

कई देश डराने के लिए परमाणु युद्ध की धमकी देते हैं

इंडियन आर्मी के कर्नल तेज टिक्कू (रिटायर्ड) कहते हैं- न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब हालात बेहद खराब हों. वैसे कोई भी देश परमाणु हमला उसी देश पर करेगा जिसके पास न्यूक्लियर बम न हो क्योंकि उसे पता है कि अगर जवाबी एक्शन हुआ तो उसको भी खामियाजा भुगतना होगा. वैसे खासतौर पर परमाणु हमले की चेतावनी ज्यादातर देश एक दूसरे को डराने के लिए ही देते हैं. ईरान कई बार धमकी देता रहा है कि इजराइल का नामोनिशान मिटा देगा. अगर ऐसा कुछ होता है तो पूरे विश्व पर इसका असर पड़ेगा. भारत के लिए सबसे बड़ी दिक्कत होगी तेल की. परमाणु बम का इस्तेमाल करना पूरी दुनिया के लिए बेहद खतरनाक घटना होगी.

रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं, न्यूक्लियर बम धमकाने के लिए ज्यादा इस्तेमाल होता है, रूस ने धमकी दी है कि हम उसका इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं. इजराइल का कहना है कि हम पर हमला हुआ तो परमाणु बम का इस्तेमाल करेंगे. हालांकि अमेरिका इजराइल को फंडिंग करता है, उसके बिना इजराइल ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकता है.

अगर किसी देश पर परमाणु हमला हुआ तो क्या होगा?

पर्यावणविद् चंद्रभूषण बताते हैं कि अगर किसी भी देश ने परमाणु बम का इस्तेमाल किया तो सबकुछ बर्बाद हो जाएगा. न सिर्फ इंसान… जानवर, प्रकृति सबकुछ खत्म हो जाएगा बल्कि जहां पर अटैक होगा वो जगह पूरी तरह भस्म हो जाएगी. इसके साथ ही आस-पास के इलाकों में भी भारी तबाही होगी. दूसरे विश्व युद्ध का जख्म आज भी जापान नहीं भूल सका है. आज दुनिया के कई देशों के पास उससे भी कई गुना ज्यादा शक्तिशाली परमाणु बम हैं. अगर किसी ने उसका इस्तेमाल कर लिया तो क्या होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है.

कितना विनाशकारी हो सकता है न्यूक्लियर बम?

हिरोशिमा पर गिराया गया पहला बम ‘लिटिल बॉय’ 15 किलो टन पावर का था. इस बम से पलक झपकते ही करीब 80 हजार लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद भी 3-4 महीनों में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई, जो लोग जिंदा बच गए उनको रेडिएशन की वजह से जीवन भर का ऐसा दर्द मिला कि वो अपनी मौत तक रिकवर नहीं कर पाए. वहीं, अगर हम अमेरिका और रूस के आज के समय के परमाणु बम की बात करें तो वो बेहद ताकतवर और कई गुना ज्यादा विध्वंसकारी हैं. रूस के Tsar बम का पावर 50 हजार किलो टन है यानी लिटिल बॉय से करीब 3500 गुना ज्यादा शक्तिशाली है. विशेषज्ञ बताते हैं कि रूस के Tsar बम से 40 किलोमीटर के दायरे में सबकुछ खत्म हो जाएगा. यानी कि न्यूयॉर्क, लंदन और मॉस्को जैसे शहर इस बम की जद में आते ही एक सेकंड में तबाह हो जाएंगे. ऐसे ही बम अमेरिका और दूसरे देशों के पास भी हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर परमाणु युद्ध हुआ तो क्या कयामत आएगी.

भारत को परमाणु हमले की धमकी देता है पाकिस्तान

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अक्सर भारत को परमाणु हमले की धमकी देता रहा है. दोनों देशों ने परमाणु बम बनाने में अरबों रुपए खर्च किये हैं. पाकिस्तान जैसा देश जिसकी आर्थिक हालत बेहद खराब है, उसके पास भारत से ज्यादा परमाणु बम हैं. 1960 से पहले सिर्फ चार देशों के पास परमाणु बम थे, उनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस थे. भारत ने 1950 में न्यूक्लियर एनर्जी पर रिसर्च शुरू कर दी थी लेकिन बम बनाने की जरूरत 1960 के दशक में महसूस हुई जब भारत को अपने पड़ोसियों से खतरा दिखाई देने लगा. 1962 में भारत और चीन का युद्ध, 1964 में चीन का न्यूक्लियर टेस्ट, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत ने परमाणु बम बनाने का फैसला किया. भारत को न्यूक्लियर बम की ताकत का अंदाजा हो चुका था कि जिस देश के पास परमाणु बम होगा, उस पर हमला करने से पहले कोई भी 100 बार सोचेगा.

इसी वजह से भारत ने अपनी परमाणु तकनीक विकसित की और 1974 में पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट किया. 1965 और 1971 की करारी हार के बाद पाकिस्तान ने परमाणु बम बनाने का काम शुरू किया. उस वक्त के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का एक बयान आया था- We will Eat Grass, but We will have a Nuclear bomb. पाकिस्तान ने 1983 में पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया, हांलाकि आधिकारिक तौर पर उसने इस बात को कभी नहीं माना. 1998 में भारत के पोखरण टेस्ट के बाद पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर न्यूक्लियर टेस्ट किया और इसे स्वीकार भी किया.

परमाणु बम किसी भी देश पर गिरे उसकी तबाही का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. कमर आगा कहते हैं- ये बहुत खतरनाक है इस तरह की बात भी नहीं होनी चाहिए, सभी देशों को भारत का जो पुराना प्रपोजल था उसपर विचार करना चाहिए, न्यूक्लियर वेपन का टोटल डिसआर्मामेंट होना चाहिए. ये जब भी होगा तो चीन, पाकिस्तान और भारत सभी को आगे बढ़कर इसका साथ देना होगा.

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