यशवन्त सराठे नगर रायसेन
बरेली नगर के बार्डर क्र.13 में घोघरा नदी के किनारे सदियों पुरानी एतिहासिक बराही माता की मूर्ति है जो पहले घोघरा नदी की अविरल धारा के किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे विराजित थी बराही माता की पूजा अर्चना हिंदू धर्म में अति प्राचीन है समय परिवर्तन के साथ बराहीमाता को एक छोटे-से मंदिर में स्थापित कर दिया गया जहां श्रध्दालुओ को पूजा अर्चना करने में कोई परेशानी नहीं होती पर श्रध्दालुओ की श्रृध्दानुसार मंदिर परिसर की भव्यता लाना अनिवार्य समझते हुए नगर के सम्मानित व्यक्तियों की बैठक डालचन्द कुशवाहा की अध्यक्षता में रखी गयी जिसमें मंदिर के सौन्दर्यीकरण,विकास, रजिस्ट्रेशन एवं पुजारी की व्यवस्था पर विचार विमर्श किया गया।इसके साथ की कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष हीराभैया धाकड़, उपाध्यक्ष प्रदीप धाकड़, सचिव राजेश कुशवाहा, सहसचिव भूराराम कुशवाहा, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र धाकड़, कार्यकारिणी सदस्य सुखराम कुशवाहा, मनोज साहू राजीव तारण, शारदा प्रसाद सराठे, नरेन्द्र सोनी,पंकज भावसार, डालचंद जगदीश आदि वनवायें गये।