उदयपुरा रायसेन।निकटवर्ती ग्राम धौलश्री में आयोजित श्री रामचरितमानस सम्मेलन के अवसर पर भरत चरित्र की व्याख्या करते हुए मानस विद्यापीठ आचार्य सुरेंद्र शास्त्री ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने अपने मानस ग्रंथ में राम के चरित्र के साथ प्रभु श्री राम के भाई भरत के भारतत्व प्रेम की व्याख्या की है, वह आज बहुत ही प्रासंगिक और अनुकरणीय है, माता कैकई के द्वारा राजा दशरथ से मांगे गए 14 वर्ष राम बनवास, और भरत को राज्य सिंहासन वरदान ऐसी जटिल समस्या को प्रभु श्री राम के भाई श्री भरत जी ने बड़ी सहजता से हल कर दिया, प्रभु श्री राम ने 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया वहीं भरत जी ने अयोध्या का राज ठुकरा कर, एक सच्चे भातृव प्रेम का विशाल हृदय परिचय दिया, कहां जाए तो भरत जी ने राज संपत्ति का बंटवारा
न कर अयोध्या में आई हुई विपत्ति का बंटवारा किया, आज परिवारों में विघटन हो रहा है, संपत्ति को लेकर आपसी विवाद और मनमुटाव इतनी बढ़ चुके हैं, कि परिवार टूटे जा रहे, थे इन सब का उपाय मानस के माध्यम से भरत और राम का चरित्र एक समाज को दिशा दे सकता है, आपसी भाई भाई प्रेम का अनुकरणीय चरित्र पालन योग हे तो वह भरत चरित्र है, झांसी से पधारे मानस प्रवक्ता राजेंद्र प्रसाद पाठक, एवं महेंद्र शास्त्री द्वारा भी भरत चरित्र पर रोचक भाव प्रस्तुत किए विशिष्ट श्रोताओं के रूप में उपस्थित पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल एवं मानस विद्यापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चतुरनारायण रघुवंशी ने मानस ग्रंथ की पूजन एवं आरती कर विद्वानों से आशीर्वाद प्राप्त किया