बुरहानपुर। अयोध्या स्थित भगवान श्रीराम की जन्म स्थली में उनके भव्य मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना को लेकर करीब पांच सौ साल पहले शुरू हुई लड़ाई समाप्त हो चुकी है। आगामी 22 जनवरी को इस स्थान पर श्रीराम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इस दिन सभी लोग अपने घर में दीये जलाएं और इसे दीपावली की तरह मनाएं।
बुरहानपुर जिले के भातखेड़ा निवासी कारसेवक शंकर चौहान ने यह आग्रह समस्त जिलेवासियों से किया है। उन्होंने बताया बताया कि वर्ष 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाने वाले कारसेवकों में वे भी शामिल थे। इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। करीब 31 साल बाद पूरे हो रहे स्वप्न को लेकर उन्हें खुशी है। सनातन धर्म के लिए किया गया उनका संघर्ष पूर्णता प्राप्त कर रहा है।
कारसेवक शंकर चौहान ने बताया कि अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाने पहुंचे लाखों राम भक्तों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। कारसेवक जब फैजाबाद पहुंचे तो लाठीचार्ज होने की अफवाह से अफरा-तफरी मच गई थी। इस दौरान शंकर के पैर में चोट भी लगी थी। अन्य कारसेवकों के साथ वे जान बचाने के लिए रेलवे ट्रैक पर करीब 14 किमी पैदल चले।
उनके पैरों में छाले तक पड़ गए थे। बावजूद इसके अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचे को तोड़ा। इस दौरान प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज किया गया। कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहे। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पथराव के दौरान सिर में पत्थर लगने से उन्हें गंभीर चोट भी आई।
गुजरात के एक व्यक्ति ने उन्हें शरण दी। कुछ दिन रुकने के बाद वहां से नेपानगर के लिए वापस लौटे। उन्होंने कहा कि आज गर्व हो रहा है कि जिन श्रीराम लला को हमने अयोध्या में वापस लाने के लिए हमारे प्राण दांव पर लगा दिए थे, आज 31 साल बाद वह सपना साकार हो रहा है।