भारतीय जनजीवन में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। सूर्य और चंद्रमा के मिलन को अमावस्या कहते हैं। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तो अमावस्या तिथि का संयोग बनता है। फाल्गुन मास की अमावस्या को फाल्गुनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या होती है। इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, श्राद्ध तर्पण इत्यादि करते हैं। मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्माएं पितृ लोक में निवास करती हैं और जब तक उनके भाग्य का अंतिम फैसला नहीं हो जाता उन्हें कड़ी यातनाओं को सहना पड़ता है। ऐसे में अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च 2022, बुधवार को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अमावस्या तिथि श्रीहरि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तथा किसी पवित्र नदी में स्नान कर पात्र व्यक्ति को दान करने से कष्टों का निवारण होता है। साथ ही काल सर्प दोष खत्म करने के लिए भी ये दिन बेहद खास है
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। इस बार फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च 2022, बुधवार को है। अमावस्या तिथि 02 मार्च को 01:03:04 से शुरू होकर 11:07:04 पर समाप्त होगी।