नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलियाई सेना भारतीय ड्रोन्स का इस्तेमाल करेंगी। हालांकि इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच वार्ता चल रही है। यदि बातचीत सफल रही तो ऐसा निश्चित रूप से होगा। शनिवार को एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई नेवी और भारतीय ड्रोन्स निर्माता कंपनियां के बीच इसको लेकर बातचीत जारी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज अपने टॉप अधिकारियों के साथ भारत के दौरे पर हैं।
समुद्री बल द्वारा आयोजित एक स्वदेशी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाए गए मानव-ले जाने वाले ‘वरुण’ ड्रोन सहित अपने उत्पादों को विकसित करने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा ड्रोन फर्म का समर्थन किया गया है। स्वदेशी ड्रोन कार्गो के साथ-साथ कर्मचारियों को ले जाने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया का समर्थन और उसका प्रचार कर रही है। साथ ही सैन्य उत्पादों को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र का समर्थन किया है।
भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन के लिए ऑर्डर भी दिए हैं। इन्हें युद्धपोतों में तैनात किया जाएगा। ड्रोन की रेंज 25 किलोमीटर है, जो 130 किलोग्राम भार को उठाने में सक्षम है। यह एकबार में लगातार 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है। ड्रोन निर्माता कंपनी के प्रमुख निकुंज पराशर ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी कंपनी ड्रोन की बिक्री के लिए नौसेना से बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि नौसेना ने हमारे उत्पादों के विकास में मदद के लिए अपने खुद का मंच प्रदान किया है।
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