उन्होंने नायडू के कथन से जुड़ी पीआईबी की एक विज्ञप्ति भी साझा की। 25 नवंबर 2020 की इस विज्ञप्ति के मुताबिक राज्यसभा के तत्कालीन सभापति नायडू ने कहा था कि राज्य के तीनो अंगों में से कोई भी सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता है क्योंकि केवल संविधान ही सर्वोच्च है और विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका संविधान में परिभाषित दायरे के भीतर काम करें। पीआईबी की इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नायडू ने गुजरात के केवड़िया में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी।

रमेश ने धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा था कि राज्यसभा के सभापति का केशवानंद भारती मामले से जुड़े फैसले को ‘गलत’ कहना न्यायपालिका पर अभूतपूर्व हमला है। उल्लेखनीय है कि धनखड़ ने बुधवार को कहा था कि संसद के बनाए कानून को किसी और संस्था द्वारा अमान्य किया जाना प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में एनजेएसी अधिनियम को निरस्त किए जाने को लेकर उन्होंने कहा था कि दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ है।