उदयपुरा रायसेन- ग्राम पचामा में चल रहे श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के 56 वे वार्षिक उत्सव समारोह के छठवें दिवस पर मुख्य कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि रामचरितमानस में भगवान राम ने संसार की समस्त विपत्तियों के सामने अपना धैर्य नहीं खोया और हमेशा आनंद में रहे, विषम परिस्थितियों में भी धैर्य न खोना साधक और संत की पहचान है । रामचरितमानस केवल पढ़ने का नहीं अपितु जीवन जीने का साधन है , भगवान की कथाएं सुनने से सत्संग सुनने से परिस्थिति बदले ना बदले पर मन स्थिति अवश्य बदल जाती है । और अगर आनंदमय जीवन जीना है तो परिस्थिति पर नहीं मन स्थिति बदलने पर विचार करें ।अगर आपका मन संतुष्ट है तो हर परिस्थिति में आनंद रहेगा भगवान का स्मरण रहेगा, यह शरीर
संसार और समाज की सेवा के लिए है और हमारा मन भगवान के लिए है । इसलिए संसार की सेवा करते हुए भगवान का नित्य स्मरण करते रहिए । अपने मन वचन और कर्म से किसी का बुरा ना हो ऐसा संकल्प करिए यही प्रभु की असली सेवा है । कार्यक्रम में होशंगाबाद से पधारे अरविंद आचार्य महाराज ने रामचरितमानस पर अपने विचार प्रकट किए , कार्यक्रम के मंच संचालन सुरेंद्र शास्त्री ने रामराज्य की परिभाषा बताते हुए कहा कि राजा द्वारा बहुत अधिक सुख सुविधाएं पहुंचाना रामराज्य नहीं है । बल्कि रामराज्य वह है जहां राजा के साथ प्रजा भी अपने स्व धर्म का पालन करें । वह असली रामराज्य है । कार्यक्रम में पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा , पूर्व विधायक दीनदयाल ढिमोले क्षेत्र एवं क्षेत्र एवं ग्राम की सैकड़ों सत्संग प्रेमियों ने कथा श्रवण की , कार्यक्रम के संयोजक चतुरनारायण रघुवंशी ने कहा कि कल सम्मेलन के 56 वें वार्षिकोत्सव समारोह का समापन दिवस है जिसमें आप सभी अधिक से अधिक संख्या में पधार कर पुण्य लाभ अर्जित करें ।
न्यूज सोर्स-चतुरनारायण रघुवंशी एडवोकेट उदयपुरा