अभिषेक असाटी बकस्वाहा
बक्सवाहा नगर के चारों दिशाओं में माता रानी के दरबार विराजमान है जिससे क्षेत्र के साथ साथ आने वाले श्रद्धालुओं को भी मां अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
बक्सवाहा से बिजावर मार्ग पर 2 किलोमीटर दूर डॉन माता का मंदिर है जो 200 वर्ष प्राचीन है जहां श्रद्धालुओं की हर मन्नत पूरी होती है मूल रूप से डान माता का नाम दान माता है यह दान की देवी कहलाती हैं ! ऐसा माना जाता है कि नगर के ही नर्मदा प्रसाद तिवारी के पूर्वज चार धाम की पैदल यात्रा पर गए थे जिसके बाद माता ने उन्हें सपना दिया तत्पश्चात डॉन माता मंदिर की स्थापना की गई ! माता की स्थापना होने के बाद नगर के ही एक व्यक्ति पर माता की सवारी आई तो बंगाल की डॉन माता के नाम से उसने उद्बोधन दिया उसके बाद डॉन माता के नाम से स्थान प्रसिद्ध हुआ ! नवरात्र की नवमी को यहां विशेष रुप से माता रानी की सवारी आती है और लोगों की समस्याओं और प्रेत बाधाओं का निवारण किया जाता है ! डॉन माता धाम में नवरात्रि पर्व के साथ वर्ष भर लोगों का आना जाना बना रहता है !
बक्सवाहा का उमरझिरिया धाम
बक्सवाहा छतरपुर मार्ग पर लगभग 4 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित सिद्धक्षेत्र उमरझिरिया का तीन मंजिला मंदिर, जहां विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित है जिनसे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है नवरात्रि के दिनों में उमरझिरिया धाम में भक्त जल चढ़ाने एवं पूजन करने बड़े भक्ति भाव के साथ यहां आते हैं लोगों का कहना है कि उमरझिरिया धाम का नाम वहां मंदिर के उत्तर में स्थित झिरिया से पड़ा है जो उमऱ के पेड़ की जड़ों से निकली है और जिस झिरिया का जलस्तर कभी कम नहीं होता !
बक्सवाहा का खेर माता मंदिर
नगर में स्थित खेर माता मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है चबूतरे से लेकर मंदिर तक का सफर बेहद कठिन था पर एक व्यक्ति( संजय दुबे ) के जुनून ने और खेर माता मंदिर समिति के पदाधिकारियो सदस्यों ने तथा बक्सवाहा क्षेत्र की जनता के सहयोग से अब एक बड़े मंदिर का निर्माण खेर माता धाम मे हो रहा है नवरात्रि के दिनों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सुबह-सुबह जल चढ़ाने यहां आते हैं और यह मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहता है !
बक्सवाहा का महाकाली मंदिर
बक्सवाहा दमोह छतरपुर मार्ग में स्थित माता महाकाली का प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है कहा जाता है की बहुत वर्ष पहले वहां पर खाली एक चबूतरा स्थापित था जहां पर पुराने बूढ़े बुजुर्ग लोग पारंपरिक ढंग से माता की पूजा अर्चना किया करते थे साथ ही वहीं पर जहां आज महाकाली धर्मशाला स्थापित है वहां पर पुराना अखाड़ा हुआ करता था बुजुर्गों के जाने के बाद बस्ती के लोगों मैं वहां पर नवदुर्गा पर्व पर माता रानी की झांकी स्थापित करना प्रारंभ किया लगभग 12 वर्ष झांकी स्थापित करने के बाद युवाओं द्वारा एक कमेटी का गठन किया जिसमें अधिकतर वाहन चालक एवं साथ में नगर के युवाओं ने माता महाकाली का मंदिर स्थापित करने का संकल्प लिया अपनी कठोर मेहनत एवं लगन से उन्होंने सन 2007 में महाकाली मंदिर का निर्माण कर माता रानी की स्थापना की माता रानी के दिव्य दरबार में लोगों की प्रत्येक मनोकामनाएं पूरी होती हैं एवं भक्तों के लिए एक बहुत ही आस्था का केंद्र माता रानी का दरबार बना हुआ है जहां साल के 12 महीनों भक्तों का आना जाना रहता है प्रत्येक दिन महाकाली माता के दरबार में कोई ना कोई धार्मिक आयोजन होता रहता है कहते हैं जो लोग माता रानी से पूर्ण श्रद्धा से अपनी मनोकामना मांगते हैं वह अवश्य पूर्ण होती है!
महेंद्र सागर तालाब शारदा माता का धाम
बक्सवाहा महेंद्र सागर तालाब के पास प्राचीन मंदिर है जो मां शारदा के दरबार के नाम से भी जाना जाता है नवरात्रि के दिनों में भक्तों का आना जाना यहाँ होता है ! राजा छत्रसाल के किले के पास स्थित प्राचीन शारदा देवी का मंदिर ब्रिटिश काल से ही प्रसिद्ध है। यहा पर दूर दूर से लोग आते है और माता रानी सब की मनोकामनाएं पूरी करती है।नवरात्रि की सप्तमी तिथि को जो भी माता के दरवार मे आ कर चुनरी चढाते है।माता रानी की कृपा से इस दरवार से हजारों माँ की गोद भरी गई है ।यहा पर हर नवरात्रि मे नवमी तिथि को माँ का दरवार लगता है हजारों लोगों की अर्जियां माता रानी सुनती हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं
कोल माता(पाली)
बक्सवाहा से 8 किलोमीटर दूर पाली ग्राम में कोलमाता का मंदिर बना हुआ है यह मंदिर लगभग 50 साल पुराना है संतान प्राप्ति के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते है और माता रानी उनकी कामना पूरी करती है ! ऐसा लोगों का मानना है कि सप्ताह के सोमवार को माता रानी की सवारी आती है और यह जिस किसी भक्त पर आती है वह कटीले तारों पर चलते हुए माता रानी के पास दर्शन करने आता है !
बक्सवाहा नगर के निवासी श्रीं धनीराम पाटकर के यहाँ माँ विंध्यवासिनी का मंदिर है जो तीन दशक पुराना है यहाँ भी नगर के लोग पूजन करने नवरात्री के दिनों में आते है !
शीतला माता मंदिर बक्सवाहा
शीतला माता मंदिर की स्थापना सन 2002 में हुई तब से लगातार भगवत कथा का आयोजन प्रत्येक वर्ष अक्टूबर माह में नवरात्रि के अवसर पर किया जाता है शीतला माता मंदिर के बारे में बात करते हुए डॉ राकेश मोहन मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में भी कथा का लाइव प्रसारण चल रहा है कथावाचक पंडित श्री दिव्यांश भूषण महाराज के सानिध्य में कथा का लाइव प्रसारण भक्ति भाव के साथ किया जा रहा है !
(गड़ोही ) बक्सवाहा
बक्सवाहा से छतरपुर मार्ग पर गड़ोही के पास बगराज माता का मंदिर है जो प्राचीन है ,ग्रामीण बताते हैं कि नवरात्रि के दिनों में माता रानी श्रद्धालुओं पर विशेष कृपा करती हैं आसपास के लोग अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर यहां आते हैं और माता रानी समस्याओं का निवारण करती हैं पिछले लगभग 50 साल से लोगों का आना जाना यहां बना रहता है ! जहरीले कीड़े मकोड़े या फिर सर्पदंश से शिकार लोग भी यहां आते हैं !
मां जगदंबा का धाम जरा बक्सवाहा
क्षेत्र के जरा जंगलों के बीहड़ में बैठी है भगवती! महज 8 कि.मी की दूरी पर ही ग्राम जरा के नजदीक स्थित बीहड़ के बीचो-बीच विराजने वाली मां जगदंबे के यहां इन दिनों भक्तों का तांता लगा रहता है साफ है नवरात्रि पर मां की चमत्कारिक छवि और पूजा के लिए भक्त होड़ उनके दरबार में लगाए रहते हैं!
बक्सवाहा नगर के निवासी दीपक खरे वार्ड नंबर 05 के पैतृक निवास में करीब 200 वर्ष पुराना अबार माता का मंदिर है जिसकी स्थापना खरे परिवार के ही पूर्वजों ने कराई थी इसकी मान्यता है कि माता रानी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं नवरात्रि के दिनों में लोगों का आना जाना यहां बना रहता है !
ग्राम (बम्हौरी) बक्सवाहा मे वरवासन माता का मंदिर स्थित है यहां पर विध्यवासिनि माता लगभग सौं सालो से विराजमान है यहां धार्मिक मान्यता है कि माता के मंदिर में रविवार को सभी भक्तों की मुरादे पूरी होती है ! नवरात्री में बम्होरी गांव के भक्त यहाँ दर्शन करने और जल चढ़ाने यहां जाते हैं !