ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत आज 14 जून 2022, दिन मंगलवार को है. हिंदू धर्म में वैसे तो सभी पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. लेकिन इन सब में ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि अत्यंत खास होती है क्योंकि इसी दिन वट पूर्णिमा व्रत किया जाता है. साथ ही पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और इस दिन स्नान-दान के कारण भी ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत को विशेषफलदायी माना जाता है.
सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत करती हैं. महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. इस दिन वट वृक्ष और सावित्री-सत्यवान की भी पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली महिलाओं को व्रत के प्रभाव से पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है.
वट पूर्णिमा व्रत 14 जून 2022, दिन मंगलवार को रखा जाएगा. पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 13 जून 09:03 बजे शाम से
पूर्णिमातिथिसमाप्त 14 जून 05:21 बजेशाम को
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी महिलाएं 16 श्रृंगार करें.इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें.रगद के पेड़ में जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं.अब वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें.वट वृक्ष की 3, 5 या 7 बार परिक्रमा करें.इसके बाद हाथ में काला चना लेकर व्रत कथा सुनें और आरती करें.पूजा समाप्त होने के बाद अपने घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें.इस व्रत में वट वृक्ष को बांस के पंखे से हवा करना जरूरी होता है और साथ ही पूजा में भीगे चने का प्रसाद रखना गलती से भी न भूलें.
ऐसी मान्यता है कि वट पूर्णिमा के दिन व्रत रखने, विधि-विधान से पूजा संपन्न करने और सावित्री-सत्यवान और भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा सुनने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
इस दिन बरगद के पेड़ में जल चढ़ाने से घर में खुशियों का वास होता है.ज्येष्ठ माह की वट पूर्णिमा के दिन सभी सुहागन महिलाओं को कच्चे सूत को हल्दी से रंगकर कम से कम तीन बार वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए ।वट पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष में कच्चा दूध चढ़ाना शुभ होता है।वट पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष को हाथ पंखे से हवा करना अच्छा माना गया है.