देवेन्द्र तिवारी सांंची रायसेन
नगर से तीन किमी दूर स्थित नोनाखेडी गांव में स्थित शमशान की कायाकल्प पलट गई है ग्राम वासियों ने आभार जताया है ।
जानकारी के अनुसार नगर से दूर तीन किमी दूर स्थित नोनाखेडी गांव जो मडवाई ग्राम पंचायत एवं जप सांंची के अंतर्गत आता है इस गांव के शमशान शैंड की हालत इतनी खस्ता हाल हो चुकी थी कि जब लोग शवों को लेकर अंतिम संस्कार हेतु पहुंचते थे तो अंतिम संस्कार के वक्त इतने भयभीत हो जाते थे कि कहीं यह शैड शव के संस्कार करने वालों के ऊपर न गिरे ।तथा शव के अग्निदाह के वक्त जब शव को लोग लकडी देने की प्रक्रिया करने शेड के नीचे पहुचने से पहले ही भयभीत होकर इस प्रक्रिया से महरूम भी रह जाते थे ।माना जाता है कि शमशान वह स्थान रहता है जब मनुष्य जीवन भर अपनी जिंदगी की लडाई लडता है तथा इस संसार से एक न एक दिन विदाई ले ही लेता है तब मनुष्य के प्राणपखेरु उडने के बाद मनुष्य शव मे तब्दील हो जाता है तथा इस शव को परिवार एवं गांव के लोग अंतिम क्रिया कर्म कर उसकी अंतिम मंजिल जो शमशान घाट कहा जाता है वहां तक पहुंचा कर अग्नि के हवाले कर संसार से विदाई कर देते हैं इस अंतिम विदाई के स्थान शमशान की भी सरकार एवं प्रशासन को मांग करने के बाद भी फुरसत नहीं मिल पाती तब ग्रामीणों को खासी परेशानी से जूझना पड़ता है ।तब कभी कभी ऐसे मामले समाचारों की सुर्खियां बन जाते है तब कहीं जाकर प्रशासन की नींद टूट जाती हैं तथा आननफानन मे फिर प्रशासन अथवा सम्बन्धित खबर लेने का बीडा उठाते हैं एवं इस अंतिम विदाई के स्थान की कायाकल्प पलट देते हैं जिससे ग्रामीण राहत की सांस लेकर उनका आभार प्रकट करने लगते है ।