गाय माता के बिना जीवन नीरस: श्रीमलूकपीठाधीश्वर
वापोली धाम में हुआ तत्वज्ञानी संत स्वामी राजेन्द्रदासजी का वैदिक सम्मान
कमल याज्ञवल्क्य
बरेली/रायसेन। अंचल के विख्यात प्राचीन श्रीशिवधाम वापोली आश्रम में श्रीमद्जगद्गुरु, श्रीमलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्रदासजी महाराज का तपस्वी संत पूज्य ब्रम्हचारीजी महाराज एवं बारह वर्ष की क्षेत्र संन्यास की साधना कर रहे संत जम्मूवाले गुरूजी लालबाबाजी के सानिध्य में संतों, विप्रजनों और दर्जन भर से अधिक गांवों के भक्तों ने दिव्य संस्कृत वांग्मय से वैदिक परम्परा के अनुसार स्वागत और वंदना की. पूज्य गुरूजी वापोली वालों के साधना धाम वापोली आश्रम में सबसे पहले विख्यात श्रीमलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदासजी ने लालबाबाजी के साथ वेद लक्षणा गाय माता की पूजा वैदिक मंत्रों के साथ की. उनके स्वागत के लिए शानदार रंगोली बनाकर पूरे परिसर में दीपक जलाए गए. इसके बाद प्राचीन मंदिर में भगवान श्रीशिव परिवार की पूजा की.
संस्कृत वांग्मय ने मंत्रमुग्ध किया
सतसंग भवन में स्वामी राजेन्द्रदासजी महाराज के गुरु परंपरानुसार स्वागत के लिए तपस्वी संत ब्रम्हचारी जी महाराज और तपस्वी संत जम्मूवाले गुरूजी लालबाबाजी सहित कई संत महात्माओं के सानिध्य में जब एक विद्वान ने संस्कृत वांग्मय में वंदना की तो पूरा सतसंग भवन मंत्रमुग्ध हो गया.
गाय माता की सेवा नित्यकर्म में शामिल हो
तत्वज्ञानी संत श्रीमलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदासजी महाराज की प्रेरणा से देश भर में गो सेवा, संवर्धन और संरक्षण के लिए समाज में सतत् प्रयास किए जा रहे हैं. स्वामी जी कहते हैं कि गो सेवा हमारे नित्य कर्म में शामिल होना चाहिए. गाय माता की रक्षा और सुरक्षा जरूरी है. यदि गाय माता की रक्षा नहीं सकते तो भविष्य में स्वयं को कैसे बचा पाओगे. स्वामी जी ने वापोली धाम में लालबाबाजी द्वारा की जा रही गो सेवा को अदभुत बताया. उन्होंने यहां सर्व सुविधा युक्त गोशाला के भी दर्शन किए. उन्होंने कहा कि अद्भुत है वापोली धाम.
पौधे लगाओ, नदियों और तालाबों को बचाओ
श्रीमलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदासजी महाराज ने कहा कि गांवों में भी पर्यावरण को समृद्ध करने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगना चाहिए. उन्होंने कहा कि गांवों के आसपास से निकली नदियों और तालाबों की पवित्रता सबकी जिम्मेदारी है . पुराण कहते हैं नदियों और सरोवरों को अपवित्र करना पाप है. आपने कहा कि सुरक्षित भविष्य के लिए गाय माता और पर्यावरण की सुरक्षा जरूरी है.
बरेलीमें वापोली धाम में श्रीमलूकपीठाधीश्वर स्वामी जी का वैदिक स्वागत किया गया।