अनुराग शर्मा
सीहोर। जिला मुख्यालय के कुछ नेताओं के लिए नगर पालिका अध्यक्ष का पद शुभदायी नहीं रहा है। यह नेता नगर सरकार तो बन गए, लेकिन बाद में इन नेताओं के सियासी कॅरियर पर ही विराम लग गया है। वरिष्ठ नेता जसपाल सिंह अरोरा को छोड़ दें तो 15 से 20 साल के दौरान बाकी नेता फिर किसी बड़े पद पर आसीन नहीं हो सके।
जसपाल सिंह अरोरा
वरिष्ठ नेता जसपाल सिंह अरोरा अब से 20-25 साल पहले नगर पालिका अध्यक्ष बने थे। हालांकि नपाध्यक्ष पद से हटने के बाद अरोरा एक बार जिला पंचायत के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद से ही अरोरा किसी विशेष पद पर नहीं रहे। हालांकि राजनीति में उनकी सक्रियता लगातार बनी रहती है। सीहोर शहर सहित अंचल में भी उनके पास समर्थकों की लंबी चौड़ी फौज है।
रुकमणी रोहिला
कांग्रेसी नेत्री रुकमणी रोहिला भी चुनाव जीतकर नगर पालिका अध्यक्ष बनी थीं। नपाध्यक्ष पद से हटने के बाद मानों रुकमणी रोहिला के राजनीतिक कॅरियर पर विराम ही लग गया। इसके बाद रोहिला किसी विशेष पद पर नहीं रहीं।
राकेश राय
वरिष्ठ नेता राकेश राय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। निर्दलीय चुनाव जीतकर राकेश राय नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे। नगर पालिका अध्यक्ष पद से हटने के बाद राकेश राय भी किसी बड़े पद पर नहीं रहे।
नरेश मेवाड़ा
संगठन की राजनीति करने वाले नरेश मेवाड़ा ने भी नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीता और पांच साल तक कार्यभार संभाला। अध्यक्ष पद से हटे हुए मेवाड़ा को भी 7 साल से अधिक का समय हो हो गया है। इन सात सालों में नरेश मेवाड़ा भी किसी बड़े पद पर नहीं रहे।
अमिता अरोरा
वरिष्ठ नेता जसपाल सिंह अरोरा की पत्नी श्रीमति अमिता अरोरा भी नगर पालिका अध्यक्ष रहीं। बीजेपी के टिकट से चुनाव लडक़र अमिता अरोरा नगर पालिका अध्यक्ष चुनी गई थीं। उन्हें अध्यक्ष पद से हटे करीब दो साल से अधिक का समय हो गया है, अब वह राजनीति से काफी दूर हैं।