Let’s travel together.

वीरांगना रानी वीरांगना रानी दुर्गावती जी के 460 वें बलिदान दिवस पर किया गया याद

0 256

सिलवानी रायसेन। प्रतापगढ़ रानी दुर्गावती चौराहा
में हर्ष उल्लास से  राजमाता महारानी दुर्गावती बलिदान दिवसमनाया गया।गोंडवाना सम्राज्य की वीरांगना के अद्भुत योगदान भारत को स्वतंत्र कराने में रक्त से रच दिया इतिहास आज हमने हमारी वीरांगना को उनकी वीरता के लिए प्रतापगढ़ चौराहे पर सतरंगी ध्वजा फहराकर सादर नमन किया।


उपस्थित क्षेत्रीय सगाजनो में सर्व श्री राजा कुंवर सूर्य जीत सिंह जूदेव, तिरु. धरमदास जी इमने, पप्पू ठाकुर सरपंच प्रतिनिधि,तिरु.रामुउइके जी घूरपुर, तिरु.भगवत उइके जी,तिरु. मुनीम उइके जी, तिरु.रामबाबू आदिवासी , तिरु.दिनेश कुडोपा,तिरु.राजेश काकोडिया, तिरु.शिबराज ठाकुर,तिरु. ज्ञान सिंह, तिरु.सचिन ठाकुर, तिरु.अंकित ठाकुर एबं समस्त क्षेत्र बासियो की गरिमामय उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ वीरांगना रानी दुर्गावती चौराहा प्रतापगढ़ में किया गया नमन* 24 जून को हर साल खास कर गोंड समाज के लोग दुर्गावती बलिदान दिवस मना कर अपने पूर्वजो के वैभव काल को याद करते है।दुर्गावती ने गोंडवाना साम्राज्य को जिस बहादुरी से सम्हाला वह काबिले तारीफ तो है ही वे पहली महिला शासक थी जिन्होने पति दलपत शाह के अकस्मात असमय मौत के बाद शासन का बागडोर अपने हाथ मे लिया। एक तरफ पुरुष प्रधान समाज मे महिला होकर नेतृत्व करना दूसरी ओर पति के असमय मृत्यु और एक मात्र अबोध बालक बीरनारायण का परिवरिश करने की जिम्मेदारी के बीच गोडवाने पर बाहुबल शस्त्र बल से सम्पन्न अकबर की गिद्ध दृष्टि की चुनौती का सामना अपने बल पर करना एक अद्वितीय महान योद्धा ही कर सकता था जो दुर्गावती ने कर दिखाया। कहा जाता है कि गोंडवाना के प्रतापी राजा संग्राम शाह ने 52 गढ बना कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया था उन दिनो गोडवाने की ओर नजर उठा कर देखने की साहस किसी शासक की नही थी गोडवाना हाथी घोडा पैदल सेना से समृद्ध रहा जिसे पिता के बादा दलपति शाह ने बखूबी सम्हाला था। गोडवाना के पडोसी राज्य कलिंजर के चंदेल राजा कीर्ति सिंह ने अपने एक मात्र पुत्री को उनके सामर्थ्य को देखकर दलपति शाह से दुर्गावती से विवाह को राजी हुए थे। दलपति शाह के असमय निधन के मालवा के शासक बाज बहादुर ने गोडवाने पर हमले की कोशिश की किन्तु उसे हर बार मुंह की खानी पडी वह बाद मे वह अकबर शिपहसलार आसफ खां के माध्यम से अकबर को उकसाया और गोडवाने अकूत सम्पदा के बारे जानकारी दी। एक कहावत प्रचलित है कि अकबर ने सोने के पिंजडा भेजकर संदेश लिखा कि एक महिला का काम महलो मे रहना है हुकूमत करना ठीक नही है जवाब मे दुर्गावती ने सोने का एक पिजन जो रुई धुनने का काम आता के साथ रुई भेजी और लिख भेजवाया कि तुम अपना पैतृक का करो गोडवाने की तरफ नजर उठा कर नही देखना यंही से युद्ध की सुरुवात हुई। कहा जाता है कि अकबर का सेना आधुनिक तकनीक तोप गोला से सजी हुई थी जबकि गोडवाना के परम्परागत सेना थी और भौगोलिक दृष्टिकोण से अपने राज्य की रक्षा के लिए सक्षम थी। दूसरी और कलिंजर के राजा के एक रिश्तेदार जो दुर्गावती से विवाह करना चाहता था वह महन्त साधु बन कर गोडवाने मे प्रवेश कर रानी तक अपना आभामंडल से पंहुच बना लिया था किन्तु असलियत मे अकबर का मुखबिरी कर रहा था वंही दलपति शाह का छोटा भाई चन्द्र शाह दलपति के मौत के राज गद्दी पर बैठना चाहता था का सहयोग दुर्गावती को नही मिला। आसफ खां ने दलबल सहित गोडवाने पर आक्रमण करता रहा और ताकत बढाता रहा आखिरकार उसने दुर्गावती की घेरा बन्दी कर ली किन्तु समर्पण करने के बजाय दुर्गावती ने अपने ही तलवार से अपनी जीवन लीला आज के ही दिन 460 साल पहले समाप्त कर ली और अमर हो गई।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

अंबाडी में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया     |     ठंड से बचने कड़ाके की सर्दी में ग्रामीण भरवाने लगे रजाई- गद्दे     |     धनेंद्र साहू ने कहा शत प्रतिशत ऑन लाइन व्यवस्था से किसान हलाकान     |     फल मंडी में दुकान की ड्रॉज से 1 लाख 14 हजार 7 सौ चालीस रुपए किए गायब:सीसीटीवी में कैद हुई घटना     |     सांची विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी के कार्यकाल का  एक वर्ष होने पर पर क्षेत्रवासियों और कार्यकर्ताओ ने किया  सम्मान     |     ढेकहा तिराहे से करहिया मण्डी तक सड़क निर्माण तत्काल प्रारंभ करें: उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     साँची विश्वविद्यालय में मनाई गई डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती     |     बंगला देश की क्रूरता पर हिन्दू संगठनों का जंगी प्रदर्शन,व्यवसायिक बाजार हिन्दुओं पर अमानुषिक व्यवहार से पूर्णतः वन्द     |     बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और हिंसा को लेकर रायसेन में हिंदू समाज द्वारा बड़ा प्रदर्शन     |     अवयस्क आदिवासियों से रात में भी कराई जा रही थी मजदूरी,मशीन में फंसकर हुई एक अवयस्क आदिवासी की मौत     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811