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कैंसर से घबराई नहीं ये महिलाएं, हौसले और इच्छाशक्ति से लड़ रही लड़ाई

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जबलपुर। कैंसर का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में एक ऐसी बीमारी की तस्वीर बन जाती है कि यह ठीक नहीं हो सकती है जबकि यह एक गलत धारणा है। खर्चीले इलाज से मरीज जीने की उम्मीद छोड़ने लगता है। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो इसका डटकर मुकाबला करते हैं, और कम खर्च के इलाज से ही इसे हरा भी देते हैं।

फेफड़े का कैंसर, स्तन कैंसर, पेट का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि कुछ ऐसे सामान्य कैंसर हैं, जिनकी खोज में काफी कुछ सामने आया है। महिलाओं में ज्यादातर ब्रेस्ट, गर्भाशय का कैंसर पाया जाता है। हमने कुछ ऐसी महिलाओं से चर्चा की, जिन्होनें कैंसर काे मात दे दी है। साथ ही वे महिलाएं आज स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रही हैं।

कैंसर से घबराई नहीं, बल्कि सामना किया

हौसला और इच्छाशक्ति हो तो कोई मुसीबत आपकी राह नहीं रोक सकती। अपने आसपास की नकारात्मकता को भगाया। हमेशा पाजिटिव रहीं। 2013 में मुझे जानकारी मिली कि कैंसर से पीड़ित हूं। मेरे ब्रेस्ट में एक गांठ थी, जब जांच कराई तो कैंसर का पता चला। इसके बाद जानकारी मिली कि अंदर 28 गांठे और हैं। मैं थोड़ा सा घबराई। लेकिन फिर सोचा कि कैंसर को हराना है। फिर मेरा ऑपरेशन हुआ, अब मैं पूरी तरह से कैंसर फ्री हो चुकी हूं। बल्कि पिछले महीने कैंसर की दवाइयां भी बंद हो चुकी है। ऑपरेशन के बाद मैने संयमित जीवनशैली अपनाई। मुझे लगता है, कि कैंसर पेशेंट्स को अपनी बीमारी को छुपाना नहीं है। बल्कि जैसे ही पता चले कि कैंसर है, तुरंत ही इलाज के लिए जाना होगा। जितने दिन बीमारी छिपती है, कैंसर उतना ही जल्दी बढ़ता जाता है। अब मेरी उम्र 72 वर्ष है। कैंसर के आपरेशन के समय 60 वर्ष थी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी, और कैंसर को हराया।

सुषमा वर्मा, कैंसर सर्वाइवर

कोविड के समय पता चला कैंसर पीड़ित हूं

2019 में पूरा विश्व काेविड महामारी से जूझ रहा था, तब मुझे भी कैंसर का पता चला। मेरे ब्रेस्ट में गांठ लग रही थी। उस समय तो डाॅक्टर भी देखने को तैयार नहीं थे। लेकिन फिर डाक्टर से फोन पर बात करके उनके क्लीनिक दिखाने गई। सारी जांचें हुई, जब पता चला कि कैंसर दूसरी स्टेज में पहुंच चुका है। डाक्टर ने तुरंत ही ऑपरेशन के लिए कहा। फिर ऑपरेशन हुआ। उसके बाद कीमो भी हुआ। उसी बीच कोविड भी हो गया। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। फैमिली मेंबर्स को बहुत चिंता होने लगी। फिर मैं रोज से वीडियो काॅल में बात करती थी। मुझे ऑपरेशन के बाद 15 दिन तक अस्पताल में क्वारेंटाइन रहना पड़ा। वो मंजर बहुत ही भयावह था, लेकिन मेरी बेटियां मेरी ताकत बनीं। आज मैं कैंसर फ्री हूं। नियमित व्यायम करती हूं। संतुलित आहार भी लेती है। मेरा कैंसर मरीजों से कहना है कि कैंसर का नाम सुनकर घबराना नहीं है। बल्कि उसका डटकर सामना करना है।

श्रद्धा नायक, कैंसर सर्वाइवर

कैंसर का इलाज संभव

कैंसर यानि केवल मौत नहीं है। अब तो बहुत सारी एडवांस तकनीक आ गई है। इसलिए किसी मरीज काे अगर कैंसर के लक्षण समझ आते हैं, तो डरने की बजाय, पहले डाक्टर के पास जाएं। घर के किसी भी सदस्य इस बात को छिपाएं नहीं। महिलाओं में स्तन व गर्भाशय का कैंसर आम है। साथ ही ओरल कैंसर के मरीज बहुत बढ़ गए है। अब तो कैंसर का इलाज संभव है। डाॅक्टर जो दवाइयां और परहेज करने सलाह देते है, उसे फाॅलो करना जरुरी है। मरीज को अपना ध्यान रखना होगा। जितनी भी दवाइयां डाक्टर देते हैं, उन्हें समय पर लेना होगा। साथ ही इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा। कैंसर के पता लगने और उचित उपचार से इस घातक बीमारी से मृत्यु दर को काफी कम किया जा सकता है।

डाॅ ललित पटेल, कैंसर स्पेशलिस्ट मेडिकल कालेज

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