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संस्कारधानी को हिलाकर भयाक्रांत करने वाली तारीख आज, भूकंप के मामले में जबलपुर संवेदनशील

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जबलपुर। संस्कारधानी की जमीन हिलाकर भयाक्रांत करने वाली तारीख 22 मई, 1997 के जख्म आज ताजा हो गए हैं। आज भूकंप की बरसी है। उस दिल दहला देने वाले भूकंप की बरसी, जो 39 जीवन काल-कवलित कर गया था। साथ ही हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। यही वजह हे कि भूकंप से हुए विनाश को याद कर आज भी शहर के लोग सिहर जाते हैं। इसी के साथ आपदा प्रबंधन के ठोस उपायों की समीक्षा भी बरबस ही होने लगती है।

22 मई, 1997 को 8.2 तीव्रता से आए भूकंप आया था

 

उल्लेखनीय है कि 22 मई, 1997 को 8.2 तीव्रता से आए भूकंप में कई घर और इमारतें ढह गई थीं। जिसके मलबे में दबकर जिंदगियां जिंदा ही दफन हो गई थीं और लाखों की आबादी प्रभावित हुई थी। दरअसल, भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माने जाने वाले जबलपुर में उसके बाद भी 8-10 झटके आ चुके हैं। रिक्टर स्केल पर 8.2 तीव्रता वाले इस भूकंप से पूरा जबलपुर शहर थर्रा गया था। भूकंप ने जबलपुर के कोसमघाट गांव को तबाह कर दिया था। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय सहित अनेक स्थानों पर हजारों मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिले की अनेक बड़ी इमारतें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई थीं।

 

भूकंप जमीन से 33 किलोमीटर नीचे केंद्रित था

जबलपुर में आया भूकंप जमीन से 33 किलोमीटर नीचे केंद्रित था। इससे जबलपुर के 70 किलोमीटर के आसपास का इलाका और क़रीब 2 हजार 539 गांव प्रभावित हुए थे। शहर के हजारों से मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। भूकंप से हुई तबाही का जायजा लेने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल यहां आए थे और लोगों से मिले थे।

 

भूकंप के मामले में जबलपुर संवेदनशील

 

भूकंप के मामले में जबलपुर और नर्मदा घाटी काफी संवेदनशील मानी जाती है। नर्मदा घाटी में धरती के अंदर दो प्लेट के बीच उथल-पुथल के कारण इसे संवेदनशील माना जाता है। जबलपुर को भूकंप के जोन -3 में रखा गया है और यहां 6 से 7 तीव्रता के भूकंप आने की आशंका बनी रहती है। इसीलिए शहर का नाम आपदा प्रबंधन की सूची में 38 अति संवेदनशील शहरों में शामिल है। 1997 के विनाशकारी भूकंप के बाद भी जबलपुर में भूकंप के आफ्टर-शाक लगातार आते रहते हैं। ऐसा माना जाता है की जबलपुर में गर्मियों के वक्त भूकंप आया है। और गर्मियों के समय भूकंप के झटके आए हैं।

 

भूकंप से सुरक्षित रहने के लिए तकनीकी को विस्तार से बताया

 

27 वर्ष पहले शहर में ऐसी प्राकृति आपदा हुई थी, जिससे शहर में अपार जनधन हानि हुई थी। 39 लोग असमय काल कलवित हो गए थे। तत्कालीन आकलन के अनुसार लगभग 500 करोड़ की धन हानि हुई थी। 22 मई 1997 का दिन याद करके मन सिहर उठता है। भूकंप जन जागरुकता को लेकर मंगलवार को कलावीथिका में प्रैक्टिसिंग इंजीनियरिंग एसोसिएशन कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें 1997 के भूकंप से सीख लेते हुए शहर में मजबूत निर्माण हो उद्देश्य को लेकर कांपती धरती पर स्थिर जीवन एक डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

 

भूकंप से सुरक्षित रहने की तकनीकी विस्तार से बताई

 

फिल्म के माध्यम से भवन निर्माण भूकंप से सुरक्षित हो सके ऐसी तकनीकी जानकारियों को विस्तार से बताया गया । भूकंपीय दृष्टि से जबलपुर एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां पर 1997 के बाद भी कई भूकंप आ चुके हैं। इसी वजह से जबलपुर जो पहले जोन 3 में आता था, वह अब जोन 4 में प्रस्तावित हो गया है। इस बिंदु को देखते हुए शहर में सुरक्षित निर्माण के लिए भूकंप से सुरक्षा प्रदान करने वाली आधुनिकतम तकनीकियों का इस्तेमाल आवश्यक हो जाता है।

 

माइक्रो जोनेशन कार्य दो स्तर तक ही हो पाया था

 

2004 में शहर के माइक्रो जोनेशन कार्य को जो उस समय दो स्तर तक ही हो पाया था, उसे तीसरे और चौथे स्तर तक पूर्ण करना अति आवश्यक है। जिससे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भूमि की गुणवत्ता और सघनता के आधार पर किस किस प्रकार के निर्माण प्रस्तावित हो संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। फिल्म के माध्यम से बताया गया कि भारतीय मानक ब्यूरो प्रस्तावित राष्ट्रीय मापदंडों को अपनाकर भूकंप से सुरक्षित निर्माण किया जा सकता है। फिल्म में यह भी बताया गया कि भूकंप के दौरान और उसके पश्चात क्या-क्या सावधानियां बरतना चाहिए । इस अवसर पर 1997 में आए भूकंप की विभीषिका दर्शाती छाया चित्र प्रर्दशनी भी प्रदर्शित की गई।

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