छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में अभी तक मरीज इलाज के लिए परेशान होते आए हैं। मरीजों को वाद विवाद कर इलाज मिल जाता है। अब मरीजों पर चूहों के हमले शुरू हो गए है। इस तरह का एक मामला सामने आया है। जहां फीमेल वार्ड में इंदिरा नगर की रहने वाली गिरजा मालवी तीन दिनों से इलाज कराने के लिए भर्ती हुई है। आज प्रात:काल उसे पैर में चूहे ने पैर कुतर दिया है। जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं किया गया है। जबकि नियमानुसार पीडि़ता को टिटनेस या अन्य जो भी इलाज है। उसे मुहैया कराना था। ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी स्टाफ को नहीं है। इसके बाद भी इलाज नहीं किया गया। ऐसे में कोई इंफैक्शन होता है तो इसका जवाबदार कौन होगा। जब इस मामले में सिविल सर्जन से बात की गई तो उन्होंने सीधा सीधा पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यदि जानकारी आएगी तो इलाज करवा दूंगा। इस तरह ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों के इलाज को लेकर कितना लापरवाह है या कितना सजग है। हालांकि इस मामले में स्टाफ का कहना है कि मरीजों के परिजन जब भोजन करते हैं तो इस दौरान जूठन नीचे गिर जाती है। वे बचा हुआ भोजन डस्टबीन में फेंक देते हैं। कुछ लोग उपर से ही भोजन नीचे फैंक देते है। इसी जूठन और फैंके हुए भोजन की खुशबू से चूहे आते हैं।
पिछली रात भी चूहे ने किया था हमला
बता दें कि बुधवार की दरमियानी रात इसी महिला पर पर चूहे ने सोते समय पैर कुतर दिया था। जब महिला को तकलीफ हुई तो वह उठ खड़ी हो गई। इतने में चूहा बिस्तर से भाग गया। आज सुबह फिर चूहे ने फिर पीड़िता के पैर में कुतर दिया। इस तरह से पीड़िता पिछले दो दिनों से चूहों के हमले से परेशान हो रही है। अभी तक उसका इलाज नहीं किया गया है। इलाज नहीं होने से पीड़िता परेशान हो रही है।
सालों से आतंक मचा रहे चूहे
अस्पताल के चूहों के आतंक से प्रबंधन भलि भांति परिचीत है। चूहे मरीजों के साथ साथ दवा भंडारण कक्ष में दवाइयों को कुतर रहे हैं। हालांकि दवा कुतरने के मामले में प्रबंधन ने साफ इंकार कर दिया है। लेकिन दवा को भी नुकसान पहुंचा रहे है। वही मरीजों को कोई पहली बार चूहों ने मरीजों को नहीं कुतरा है। इसके पहले भी चूहे मरीजों के सिर हाथ पैर में कुतर चुके हैं। इसके बाद भी प्रबंधन इन मामलों में कोई सावधानी नहीं बरत रहा है। अब फिर चूहे वार्डों में सक्रिय हो गए है। जो पिछले दो दिन से मरीजों के शरीर को कुतर रहे है।
साल में चार बार हो रहा पेस्ट कंट्रोल
इस मामले में जब सिविल सर्जन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पूरे अस्पताल में साल में चार बार पेस्ट कंट्रोल करवाया जाता है। हाल में भी पेस्ट कंट्रोल करवाया है। इससे चूहे या मर जाते है या जगह छोड़कर भाग जाते हैं। इससे तीन महीने तक चूहे उस जगह पर नहीं आते। उन्होंने बताया कि एक बार में 25 से 30 हजार रूपए खर्च आता है।