जोगेंद्र सेन. ग्वालियर। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी का पर्व 30 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि रंग पंचमी का पर्व विशेष तौर पर धूमधाम से मनाते हैं। मान्यताओं के मुताबिक रंग पंचमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। इस दौरान कान्हा और राधा जी को रंग अर्पित किया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन जुलूस निकाला जाता है और अबीर गुलाल उड़ाया जाता है।
धार्मिक महत्व के मुताबिक, रंग पंचमी के दिन रंगों के प्रयोग से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संवहन होता है। इसी सकारात्मक ऊर्जा में लोगों को देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है।
- पंचमी तिथि 29 मार्च को रात 8 बजकर 29 मिनट से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तिथि शुरू होगी और 30 मार्च को रात 9 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी।
- इसलिए रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन देवी देवताओं के साथ होली खेलने का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 46 मिनट से 9 बजकर 19 मिनट तक है।
रंगपंचमी का महत्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण राधा जी के साथ होली खेले थे। यह भी माना जाता है कि इस दिन देवी देवता धरती पर आकर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं। इस दिन हवा में उड़ा गुलाल जिस भी व्यक्ति पर आकर गिरता है उसे देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। रंग पंचमी के दिन देवी देवताओं को रंग और गुलाल अपित करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।