मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
वैसे तो अपने देश भारत में त्योहारों को मनाने की अलग-अलग परंपराएं है। विभिन्न क्षेत्र में लोग प्राचीन परंपराओं के अनुसार त्योहार मनाते चले आ रहे है। दीवानगंज के पास स्थित ग्राम कयामपुर मैं होली के दूसरे दिन और ग्राम नीनोद में होली के तीसरे दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है।
सांची विकासखंड के ग्राम कयामपुर और ग्राम निनोद में ठाकुर बाबा का प्राचीन स्थान है। कायम पुर में होली के दूसरे दिन भाईदूज और ग्राम निनोद में होली के तृतीय दिवस ठाकुर बाबा के यहां पर हर वर्ष राई नृत्य का आयोजन होता है। दोनों गांवो में ठाकुर बाबा के स्थान पर ग्रामवासी सबसे पहले पूजा आरती करते हैं। इसके बाद राई नृत्य चालू होता है।
यहां की ऐसी मान्यता है कि यदि जिस साल यहां पर राई नृत्य नहीं किया जाता उस साल गांव में कोई ना कोई आपदा आ जाती है। वहीं इन दोनों स्थानों की एक विशेषता है कि होली पर्व के बाद की गई पूजा में ठाकुर बाबा को चढ़ाए हुआ प्रसाद श्रद्धालुओं को हाथों में नहीं नहीं लेते बल्कि फेंककर दिया जाता है। श्रद्धालु प्रसाद को झेल कर प्राप्त करते हैं। कायम पुर में बुधवार को और निनोद में गुरुवार को ठाकुर बाबा की पूजा-अर्चना कर राई नृत्य का आयोजन कराया गया। ग्रामीणों का कहना है कि ठाकुर बाबा के यहां जो भी मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है इसलिए यहां पर प्रत्येक वर्ष होली के बाद राई नृत्य होता है। हर साल अलग-अलग जगह से राई नृत्य लाई जाती है।इस साल राई नृत्य करने वाली 7 नृत्यांगनाएं आई हैं। ठाकुर बाबा के यहां पर बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित हुए। हमारे यहां कई बरसों से यह परंपरा चली आ रही है दीवानगंज चौकी प्रभारी बीरबल पुलिस स्टाफ मौजूद रहा।