– अवैध रूप से सरकारी स्कूल के शिक्षकों से लेकर अधिवक्ता तक स्वयं को घोषित कर रहे पत्रकार
भोपाल। 12 जनवरी 2020 को मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान फर्जी पत्रकारों पर गम्भीर टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट के दो जजों की एक पीठ ने कहा था कि फर्जी पत्रकारों की गतिविधियों के चलते प्रेस की छवि खराब हो रही है। फर्जी पत्रकारों के चलते असली पत्रकार दरकिनार हो गये हैं। प्रेस संगठनों में ऊपर से नीचे तक फर्जी पत्रकार भर गये हैं। ये फर्जी पत्रकार पैसे लेकर कवरेज करते हैं, खबर छापते-दिखाते हैं।
मद्रास हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को गम्भीरता से लेते हुए देशभर के लगभग 19,000 श्रमजीवी पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करनेवाला एक मात्र निर्विवादित पत्रकार संगठन “भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ” ने गम्भीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री को लिखित रूप से पत्र भेज कर देशभर में पत्रकारों के नाम पर एनजीओ बना कर संगठन चलानेवालों की जांच उपरांत कार्रवाई की मांग की गयी थी।
बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में ही सैंकड़ों फर्जी संगठन स्वयं को अखिल भारतीय नाम रख कर एनजीओ का निबंधन करवा कर स्वयं को पत्रकार संगठन घोषित कर बड़ी दुकानदारी चला रहे हैं। हालत यह है कि उनके अध्यक्ष से लेकर अन्य पदाधिकारी तक स्वयं पत्रकार नहीं होते हैं, उनमें कई सरकारी स्कूल के शिक्षक से लेकर अधिवक्ता हैं, जो स्वयं को पत्रकार घोषित कर रहे हैं। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया का इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी अधिवक्ता किसी अन्य पेशे से जुड़ा नहीं रह सकता है। उसी प्रकार सरकारी नौकरी करनेवाले वेतन भोगी भी पत्रकार नहीं हो सकते हैं।
पिछले दिनों केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री ने भी ये संकेत दिये हैं कि ऐसे फर्जी पत्रकार और संगठन सरकार के रडार पर हैं और उन सबके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।
जिस दिन मद्रास हाईकोर्ट ने पत्रकारिता के पेशे पर चिंता व्यक्त की थी, ठीक उसके दूसरे दिन कानपुर में कुछ फर्जी पत्रकारों को पुलिस ने चकलाघर चलाते पकड़ा था। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हाईकोर्ट की चिंता लाज़िमी थी, लेकिन इस विषय पर पहली चिंता या समाधान के लिए देशभर के 4 बड़े मान्यता प्राप्त पत्रकार संगठनों को आगे आकर पहल करनी चाहिए थी। हालांकि, उन मान्यता प्राप्त 3 बड़े संगठन के कर्ता-धर्ता संगठन में पद पर बने रहने के लिए आपसी नूरा कुश्ती में मस्त हैं। उत्तर प्रदेश में “उपजा” के नाम पर ही 3 अलग अलग संगठन स्वयं को असली सिद्ध करने की मुहिम में न्यायालय में मुकदमेबाजी में फंसे हुए हैं।
एनयूजेआई के 3 अलग-अलग ग्रुप हैं। आईएफडब्ल्यूजे के भी 3 ग्रुप बन गये हैं। जबकि, आईयूजे भी 2 खंडों में बंटने की सूचना है। एक मात्र भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ (बीएसपीएस) ही अब निर्विवादित संगठन रह गया है।
अब हाईकोर्ट भी पत्रकार संगठनों पर सवाल उठा रहा हैं। यह बात आम व्यक्ति भी जान गया है कि अवैध, असंवैधानिक, असामाजिक, गैर कानूनी और नाजायज़ काम करने के लिए मीडिया का मुखौटा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसका एक नेक्सस है। पत्रकार संगठन (एनजीओ बना कर) मैगी की तरह हो गये हैं। दो मिनट में तैयार। एक नाम सोचिए, उसका लेटरहेड बनाइए और तैयार पत्रकार संगठन। बस, अब बिना इनवेस्टमेंट के पत्रकारिता को बेचने की खूब कमाई वाली दुकान खुल गयी। जिलों-जिलों अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को इसके कार्ड बेचिए। कार्ड खरीदनेवाला संदिग्ध ना सिर्फ पत्रकार, बल्कि संगठन का पदाधिकारी/सदस्य बनके पत्रकार नेता भी बन जाता है।
ऐसे लोग चकलाघर चलाने से लेकर कोई भी गैर कानूनी काम करने में भय मुक्त हो जाते हैं। ब्लैकमेलिंग से लेकर पुलिस/सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाने के रास्ते खुल जाते हैं। एक ठेलेवाले से हफ्ता वसूली से लेकर झुंड बना कर अधिकारियों से काम कराने के लिए फर्जी मीडिया गिरोह खूब फल-फूल रहे हैं। हालांकि, यह अच्छी बात है कि मौजूदा केन्द्र सरकारें ऐसे लोगों/संगठनों को रडार पर रख रही है।
प्रेस के नाम पर काले कारनामों को अंजाम देने के जिम्मेदार सिर्फ पत्रकार संगठन ही नहीं हैं, यूट्यूब चैनल़ और फर्जी अख़बार (डिजिटल अखबार, जिन्हें आरएनआई टाइटल तक नहीं है) भी हैं।
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की गरिमा और साख बनाये रखना न्यायालय, पुलिस या प्रेस कॉउंसिल आफ इंडिया से ज्यादा जिम्मेदारी वास्तविक पत्रकारों के वास्तविक पत्रकार संगठन की है, कि वे अपनी जिम्मेदारी निभायें। पत्रकारिता को बदनाम करनेवाली शक्तियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए स्वयं आगे आयें। ऐसे ही फर्जी पत्रकारों और संगठन पर अंकुश लगाने के लिए अब “भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ” ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की पूरी तैयारी कर ली है। प्रांत एवं राज्य स्तर पर उनकी सूची अब तैयार की जा रही है।
साभार -डॉ. नवीन आनंद जोशी(प्रदेश अध्यक्ष) जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ मध्य प्रदेश jump ( भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ, नई दिल्ली की राज्य इकाई)