• साँची विश्वविद्यालय-आचार्य शंकर एकता न्यास के बीच एमओयू
• अद्वैत वेदांत, शंकराचार्य से जुड़े शोध को बढ़ावा मिलेगा
• साँची विवि में पीएचडी की 3 सीट पर नामांकन करेगा शंकर न्यास
रायसेन। साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के बीच उच्चस्तरीय शोध का एमओयू किया गया। साँची विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो वैद्यनाथ लाभ की उपस्थिति में कुलसचिव प्रो अलकेश चतुर्वेदी और शंकर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. मनीष पाण्डे ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो लाभ ने इस अवसर पर कहा कि आचार्य शंकर का भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परम्परा में अतुलनीय योगदान है और सनातन संस्कृति का वाहक होने के नाते इस परम्परा में वो कुछ भी योगदान दे पाते है तो यह विश्वविद्यालय का सौभाग्य होगा।
एमओयू के अनुसार शंकराचार्य और अद्वैत वेदान्त के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय पीएचडी की तीन अतिरिक्त सीट आचार्य शंकर एकता सांस्कृतिक न्यास को आवंटित करेगा। सुपर न्यूमेरी कोटे की इन सीटों पर आचार्य शंकर एकता न्यास तीन योग्य शोधार्थियों को पीएचडी हेतु नामांकित करेगा एवं विश्वविद्यालय से अनुमति के उपरांत ये शोधार्थी अद्वैत वेदान्त, आचार्य शंकर और उनकी परम्परा के दूसरे आचार्यों से जुड़े विषयों पर शोध कर सकेंगे। इन तीन सुपरन्यूमेरी सीटों का सामान्य पीएचडी सीटों पर कोई असर नहीं होगा। शंकर न्यास, अद्वैत वेदान्त और आचार्य़ शंकर पर काम करने वाले मूर्धन्य विद्वानों को शोधार्थियों के शोध समन्वयक के रूप में भी नामांकित करेगा और ये विद्वान साँची विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति के आमंत्रित सदस्य होंगे। कुलगुरु की अनुमति से शंकर न्यास विख्यात विद्वानों को साँची विश्वविद्यालय की शोध समिति में भी नामांकित कर सकेगा।
एमओयू हस्ताक्षर समारोह में शंकर न्यास के सलाहकार और साँची विवि के पूर्व कुलपति प्रो यज्नेश्वर शास्त्री, साँची विवि के अधिष्ठाता प्रो नवीन कुमार मेहता एवं वेद विभागाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र सिंह, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ राहुल सिद्धार्थ एवं विधि अधिकारी भी मौजूद थे।